कोरोना लॉकडाउन: ऑनलाइन एजुकेशन से कितने % छात्रों का हो रहा फायदा, कितनों के लिए खड़ी हुुई मुसीबत
punjabkesari.in Thursday, Apr 30, 2020 - 02:35 PM (IST)
नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है जिसके चलते सब तरफ लॉकडाउन लागू कर दिया है। लॉकडाउन होने की वजह से एजुकेशन सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। भारत में स्कूल जाने वाले करीब 26 करोड़ छात्र हैं ज़ाहिर है, ऑनलाइन क्लासेस के ज़रिए शहरों में स्कूलों के नए एकेडमिक सेशन शुरू हो गए हैं, जबकि आर्थिक रूप से कमज़ोर और ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले छात्र इस मामले में कहीं पीछे छूट रहे हैं।
ऐसे में शिक्षा को जारी रखने के लिए अधिकतर स्कूल कॉलेजों में ऑनलाइन एजुकेशन का तरीका अपनाया जा रहा है। लेकिन क्या ऑनलाइन स्टडी के जरिये सभी स्टूडेंट्स को फायदा हो रहा है या कितने स्टूडेंट्स ऑनलाइन एजुकेशन का लाभ नहीं उठा पा रहे है ? हर राज्य में डिजिटल माध्यम से क्लासेज लगाना एक चर्चा का विषय है। यह एक माध्यम है, जिसके ज़रिए बच्चों तक स्टडी करवाने की कोशिश जा रही है लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं। हर किसी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिवी नहीं है।
क्या ऑनलाइन स्टडी फायदेमंद या नुकसानदायक ?
नहीं है स्मार्टफोन तो कैसे होगी स्टडी
सबसे पहले अगर बात करें पंजाब की तो एक सर्वे के मुताबिक हर पांच में से दो माता-पिता के पास बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस के सेटअप के लिए ज़रूरी सामान ही नहीं है। कुछ लोगों का कहना है कि स्मार्टफोन, लैपटॉप न होने की वजह बच्चे की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। वहीं आर्थिक रूप से कमज़ोर स्कूली बच्चों की परेशानी इससे बिल्कुल अलग है लैपटॉप, टेबलेट जैसे उपकरणों के आभाव में वो ऑनलाइन पढ़ाई में कहीं पीछे छूटते दिख रहे हैं।
आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग परेशान
ऑनलाइन पढ़ाई में गरीब बच्चों के लिए कई सारी चुनौतियां हैं, हो सकता है, उनके पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप ना हो. इंटरनेट की सुविधा ना हो और वो इन उपकरणों को ठीक से इस्तेमाल करना ना जानते हों."
दिल्ली की बात करें तो वहां पर भी बहुत से ग़रीब परिवार दिल्ली जैसे बड़े शहरों से पलायन करके गए हैं, उनमें भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे होंगे जिनका ऑनलाइन एजुकेशन से नुकसान हो रहा है।
ई-लर्निंग है भारत सरकार का क़दम
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एजुकेशन को बरकररार रखने के लिए ई-लर्निंग जैसा नया कदम उठाया है। जैसे कुछ डिजिटल ऐप है -
#दीक्षा: इसमें पहली से 12वीं कक्षा तक के लिए सीबीएसई, एनसीईआरटी, और स्टेट/यूटी की ओर से बनाई गईं अलग-अलग भाषाएं में 80 हज़ार से ज़्यादा ई-बुक्स हैं. इसका ऐप डाउनलोड किया जा सकता है.
#स्वयं: ये नेशनल ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म है. जिसमें 11वीं-12वीं कक्षा और अंडर ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट दोनों ही तरह के छात्रों के लिए सभी विषयों में 1900 कोर्स हैं।
रेडियो और टेलीविज़न बना नया माध्यम
ऐसा कहा जा रहा है कि भारत में रेडियो में विविध भारती जैसे अन्य ज़रिए से दूर-दराज़ के इलाक़ों में पहुंचा जा सकता है उसमें रोज़ 10-15 मिनट का एक मज़ेदार और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम दिया जा सकता है।
ग्रामीण इलाक़े भी है परेशान
सरकार ने छात्रों के लिए बहुत सी मुफ्त ऑनलाइन सुविधाएं दी हैं लेकिन खास बात यह है कि ग्रामीण इलाक़ों में प्रति सौ लोगों पर केवल 21.76 व्यक्ति के पास इंटरनेट है जिससे ऑनलाइन एजुकेशन का उनको कोई भी फायदा नहीं मिल रहा है।
उल्लेखनीय है कि कुछ लोग ऑनलाइन एजुकेशन को गलत मानते हैं तो कुछ फायदेमन्द। एक स्टडी के मुताबिक इतने लंबे समय तक बच्चों को पढ़ाई से दूर रखना भी ठीक नहीं ऐसे में क्लासेस छोटी और दिलचस्प कटेंट के साथ हों जिससे बच्चे कुछ अच्छी बातें सीख सकें, जिनके पास मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा नहीं है उन तक रेडियो, टीवी, के माध्यम से पढ़ने की चीज़े पहुंचाई जाए।