नौकरी के नाम पर हो रही ठगी, रहें बचकर

punjabkesari.in Monday, Oct 23, 2017 - 09:29 AM (IST)

नई दिल्ली: पिछले एक दशक में देश में एक नई तरह की धोखाधड़ी सामने आई है। इसमें बेरोजगार शिक्षित युवाओं को हाईटैक का झांसा देकर ठगी की जाती है। इधर इसका जाल इतना फैल गया है कि देश के प्रमुख मुंबई, बेंगलूर, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई जैसे शहरों में ही ठगी के सैंकड़ों शिकार हो चुके हैं। इन युवाओं को पक्की नौकरी और मोटी तनख्वाह का झांसा देकर इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है और फिर उनसे फीस के नाम पर रकम वसूली जाती है। इनमें से कुछ लोगों को जॉब मिल भी जाती है लेकिन अधिकांश खाली हाथ रहते हैं या ऑफर से कम तनख्वाह मिलने तथा ऐसी ही अनेक परेशानियों की वजह से नौकरी छोड़ देते हैं। दूसरी ओर ऐसी प्लेसमैंट एजैंसियां कई लोगों को काम पर रखकर लाखों महीना कमा रही हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रोजगार की बढ़ती मांग और इंटरनैट सेवा के विस्तार ने इस तरह की धोखाधड़ी को पंख लगा दिए हैं। कानूनी जानकारों के मुताबिक ऐसे धोखेबाज कानून के कई प्रावधानों की भी खुल्लम-खुल्ला धज्जियां उड़ा रहे हैं।

घटना के पात्र
दीपिका चड्ढा : उत्तम नगर की 19 वर्षीय द्वितीय वर्ष की छात्रा है। वह कॉल सैंटर में जॉब करना चाहती है।

नीतू खत्री : नरेला की 21 वर्षीय स्नातक लड़की खुद कमाना चाहती है।

विकास तंवर : राजस्थान के 24 वर्षीय वाणिज्य के स्नातक दिल्ली में जॉब चाहते हैं, उनके पास पैसों की किल्लत है। 

कैसे काम करती है प्लेसमैंट एजैंसी
दीपिका चड्ढा, तंवर और खत्री ने कुछ साइट पर अपना रिज्यूम अपलोड किया, ऐसी ही नौकरी वाली वैबसाइट से प्लेसमैंट एजैंसियां लोगों के रिज्यूम लेती हैं। एक एजैंसी ने दीपिका चड्ढा, तंवर और खत्री के रिज्यूम उठाए। यह एजैंसी रोजाना इनसे 100 रिज्यूम लेती है और हर रिज्यूम पर 10 रुपए देती है।

दीपिका चड्ढा कीर्ति नगर के कॉल सैंटर पर पहुंची और यहां पर उसे 10 हजार रुपए मासिक सैलरी का ऑफर दिया गया। इस पर चड्ढा ने कहा कि उससे 15 हजार रुपए सैलरी का वादा किया गया था और उससे 5 हजार रुपए कम सैलरी ऑफर की गई। उसने नौकरी करने से इंकार कर दिया। चड्ढा दूसरे कॉल सैंटर पर गई। यहां उससे कहा गया कि वह इस नौकरी के लायक नहीं है इसलिए उन्हें नौकरी का ऑफर नहीं दिया जाता है।

खत्री जब कॉल सैंटर पहुंची तो उसे 15 हजार रुपए मासिक सैलरी पर नौकरी ऑफर हुई। खत्री ने कहा कि हर कॉल की शुरूआत एक ही तरह से होती है। मैं जॉबइश बोल रहा हूं। हमारे पास आपका रिज्यूम है। हमारे पास आपके लिए नौकरी का ऑफर है। दीपिका चड्ढा, तंवर और खत्री को एच.आर. की तरफ से नौकरी का ऑफर आया फिर उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। इस एजैंसी में 8 एच.आर. कर्मी हैं जो रोजाना 100 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं।

इंटरव्यू के दौरान दीपिका चड्ढा, तंवर, और खत्री ने अपना परिचय दिया और इसके बाद उन्हें बताया गया कि उन्हें बी.पी.ओ. में काम करना होगा, इसके बाद उन्हें 500 रुपए देने को कहा गया, इसके बदले उन्हें एक स्लिप दी गई कि उनकी नौकरी पक्की हो गई है। चंद्रा और खत्री को बताया गया कि उनकी जॉब दो घंटे की ट्रेनिंग क्लास के बाद शुरू होगी। उनसे कहा गया कि वह उत्तम नगर के एक पब्लिक स्कूल में चले जाएं। यहां उनको 1000 रुपए देने होंगे। इस क्लास में उन्हें बताया गया कि कैसे अपना परिचय देना है और कॉल सैंटर की टैक्निकल टर्म्स के बारे में बताया गया। तंवर को प्लेसमैंट एजैंसी ने गुरुग्राम के किसी कॉल सैंटर में भेजा जहां उसे नौकरी मिल गई। यहां तंवर को पता चला कि टैक सपोर्ट स्कैम होता है। कम्पनी कर्मचारी लोगों को सिक्योरिटी प्रोडक्ट बेचते हैं जबकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं होती। तंवर ने कुछ महीने बाद नौकरी छोड़ दी।

इनसे ऐसे बचें
1 पैसा : कोई भी वास्तविक कम्पनी कभी भर्ती के लिए पैसे की मांग नहीं करती, न तो प्रोसैसिंग फीस मांगती है और न ही सिक्योरिटी डिपॉजिट।

2 कम्पनी का नाम : जॉब देने वाली कम्पनी भर्ती प्रक्रिया के दौरान मनमाना बदलाव करती है तो समझ जाएं कि दाल में कुछ काला है।

3 गारंटी : अगर कोई आपके प्रोफाइल को बेहतर करने के लिए पैसे मांगे, जॉब ऑफर करे तो समझ जाएं कि गड़बड़ है।

4 जॉब प्रोफाइल : अगर आपको इंटरव्यू व आवेदन के दौरान अलग-अलग जॉब बताई जाएं तो यह संदेहास्पद है।

5 तत्काल जॉब : कोई भी वास्तविक कम्पनी आपका पिछला प्रोफाइल अनुभव और संदर्भ जांचे बिना कभी जॉब नहीं देगी।

6 निजी सूचनाएं : भर्ती प्रक्रिया के शुरुआती चरण में किसी कम्पनी या एजैंसी के साथ पैन और बैंक खाता नम्बर शेयर न करें।

7. मोटी तनख्वाह : अगर कोई कम्पनी आपसे कोई छोटे-मोटे काम के एवज में मोटी तनख्वाह की पेशकश कर रही हो तो भरोसा न करें।

8. जॉब विज्ञापन : जॉब के लिए विज्ञापनों को सावधानी से देखें, अगर इसमें वर्तनी व व्याकरण संबंधी दोष भरे पड़े हों या इसमें जानकारी अधूरी दिखे तो इसके वास्तविक होने पर संदेह है।

9. ईमेल पता : वास्तविक नियोक्ता हमेशा अपना कॉर्पोरेट मेल अकाऊंट रखता है, वह कभी सार्वजनिक मेल जैसे कि जीमेल या याहू मेल का इस्तेमाल नहीं करता, इस पर ध्यान रखें।

10. अन्य टिप्स : किसी ने प्लेसमैंट एजैंसी या नियोक्ता के बारे में शिकायत कर रखी है तो उपभोक्ता फोरम में पता करें।

मुम्बई के आसिफ हुसैन
मई 2017     20,000 गंवाए

-हुसैन एक वैश्विक कर्म में मध्य स्तर के जोखिम विश्लेषक हैं, उन्होंने नई जॉब तलाशने के लिए अपना रिज्यूम वैबसाइट पर डाला।

-एक जॉब एजैंसी ने उन्हें कॉल कर शुरू में 20 हजार रुपए मांगे जो उन्होंने दे दिए। जब शक होने पर पैसे वापस मांगे तो कम्पनी ने इंकार कर दिया, जिस कारण उन्हें अपने 20 हजार गंवाने पड़े।

बेंगलूर की अनुपमान चंद्रन
अप्रैल 2017 को 1 लाख की चपत

-चंद्रन 18 वर्षों के अनुभव के साथ एक आई.टी. पेशेवर हैं। उनके पास एक प्लेसमैंट एजैंसी से जॉब का ऑफर आया।

-इसके लिए उन्होंने 1 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया। बाद में उन्हें मालूम हुआ कि कम्पनी के खिलाफ कई शिकायतें पुलिस में दर्ज हैं। इस तरह से उन्हें 1 लाख की चपत लग गई।

हैदराबाद के गुरप्रीत सिंह
जुलाई 2017 को हुई 2 लाख की ठगी

-गुरप्रीत ने जॉब वैबसाइट पर दो लाख रुपए प्रोसैसिंग फीस के नाम पर जमा कराए।
 
-ठगी होने का आभास हुआ तो सिंह ने पुलिस में मामला दर्ज कराया और 2 लोग
गिरफ्तार किए गए।


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