काशी विश्वनाथ में प्रवेश से पहले लेनी पड़ती है ''काशी के कोतवाल'' की आज्ञा

punjabkesari.in Tuesday, Jun 14, 2016 - 10:35 AM (IST)

काशी में भोलेनाथ के पश्चात यदि किसी का महत्व है, तो वो हैं काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव। माना जाता है कि बाबा काल भैरव की अनुमति लेकर ही काशी विश्वनाथ में रहा जा सकता है इसलिए उनको ''काशी का कोतवाल'' कह कर संबोधित किया जाता है। 

कहते हैं कि काशी में बाबा काल भैरव के दर्शन किए बिना विश्वनाथ के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। यहां काल भैरव कमच्छा क्षेत्र के एक मंदिर में दो स्वरुपों में विराजते हैं। इनके दर्शनों से ग्रह समस्याएं नष्ट होती हैं अौर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

पहला रूप बटुक भैरव

यहां बाबा काल भैरव का प्रथम स्वरुप बटुक भैरव का है। ये इनका बाल स्वरूप है। इनके दर्शन मात्र से ही सारे दुखों से मुक्ति मिल जाती है अौर पुत्र प्राप्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मान्यता है कि इनके मंदिर में भक्तों द्वारा 21 मंगलवार या रविवार हाजिरी लगाने से अपार खुशियों की प्राप्ति होती है।

दूसरा रूप आदि भैरव

मंदिर के दूसरे भाग में बाबा काल भैरव आदि भैरव स्वरुप में विराजित हैं। ये भी इनका बाल स्वरुप है। इनके दर्शन करने से राहु केतु का अशुभ प्रभाव दूर होता है और श्रद्धालुअों को प्रसन्न रहने का आशीर्वाद मिलता है।

आरती के दौरान नगाड़े बजाना

बाबा भैरव के मंदिर में एक दिन में तीन बार आरती का विधान है। विशेष बात यह है कि आरती के समय नगाड़े बजाए जाते हैं। कहा जाता है की यहां पूजा अौर आरती के समय जो भी नगाड़ा बजाए वह बाबा की विशिष्ट कृपा का भागी बनता है। इस मंदिर से कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता। यहां पूरा वर्ष बहुत से भक्त दर्शनों हेतु आते हैं।

 

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