सत्य घटना: भक्त के कष्ट को दूर करने स्वयं आए श्रीकृष्ण और महादेव

punjabkesari.in Tuesday, Jul 28, 2015 - 12:52 PM (IST)

श्रीसनातन गोस्वामी जी जब गोवर्धन में थे तो अयाचित भाव से प्रतिदिन गिरिराजजी की परिक्रमा करते थे। धीरे-धीरे वृद्ध होने पर, आप श्रीगोवर्धन की परिक्रमा करते हुए थक जाते थे। आपकी थकावट को देखकर, एक दिन भगवान  श्रीगोपीनाथ जी गोप-बालक के रूप में आप के पास आए व आपको हवा करने लगे जिससे आपकी थकावट जाती रही।

उस गोप-बालक ने गोवर्धन पर चढ़ कर श्रीकृष्ण के चरणों से चिन्हित एक शिला लाकर आपको दी व कहा- आप बूढ़े हो गए हैं। इतना परिश्रम क्यों करते हो? मैं आपको ये गोवर्धन शिला दे रहा हूं। इस की प्रतिदिन परिक्रमा करने से ही आप की गिरिराज जी की परिक्रमा हो जाया करेगी।

यह कह गोप-बालक अन्तर्धान हो गया। श्रील सनातन गोस्वामी गोप-बालक को अन्तर्धान होता देख भाव में रोने लगे। इस स्थान का नाम चक्रतीर्थ है। (श्रीसनातन गोस्वामी द्वार सेवित वही गोवर्धन शिला आजकल वृन्दावन में श्रीराधा-दामोदर मन्दिर में विराजमान है। )

श्रील सनतान गोस्वामी जी जब वहां रह कर भजन करते थे, तब वहां मच्छरों का खूब प्रकोप था। मच्छरों के उपद्रव से हरिनाम करने और ग्रन्थ लिखने में बहुत विघ्न होने पर, श्रील सनातन गोस्वामी जी ने कहीं और चले जाने का निश्चय किया। उसी रात को चक्रेश्वर महादेव ने स्वप्न में आपसे कहा कि आपको चिन्ता करने की अवश्यकता नहीं है। आप निर्विघ्न भजन करें, अब से कोई मच्छर आपको परेशान नहीं करेंगे। इस के बाद के दूसरे दिन से वहां कोई मच्छर नहीं था।

मानसी गंगा के उत्तर तट पर श्रीचक्रेश्वर महादेव जी के सामने एक प्राचीन नीम का पेड़ है, इसी नीम के वृक्ष के नीचे श्रील सनातन गोस्वामी जी की भजन कुटीर थी।  

प्रस्तुति: श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज
bhakti.vichar.vishnu@gmail.com 


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