PIX:त्रेतायुग से प्रज्वलित है हवन कुंड की अग्नि, यहां हुआ था भगवान शिव-पार्वती का विवाह

punjabkesari.in Saturday, Aug 13, 2016 - 10:32 AM (IST)

‘त्रियुगी नारायण’ रुद्रप्रयाग में स्थित एक पवित्र स्थान है। माना जाता है कि यहां भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस हवन कुंड की अग्नि को साक्षी मानकर विवाह हुआ था। यह अग्नि त्रेतायुग से अभी तक प्रज्वलित है। इस अग्नि की राख को आज भी लोग अपने घरों में ले जाते हैं, जिसे शुभ माना जाता है।

 

हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सती का पुनर्जन्म पार्वती के रुप में हुआ था। माता पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को वर रुप में प्राप्त किया था। जिस जगह माता पार्वती ने तप किया था उसे गौरी कुंड के नाम से जाना जाता है। जो भक्त त्रियुगीनारायण जाते हैं, वे गौरीकुंड के दर्शन अवश्य करते हैं। 

 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भोलेनाथ ने गुप्त काशी में माता पार्वती के सम्मुख विवाह का प्रस्ताव रखा था। उसके पश्चात भोलेनाथ अौर माता पार्वती का शुभ विवाह त्रियुगीनारायण गांव में मंदाकिनी सोन अौर गंगा के मिलन स्थल पर हुआ था। उस समय सभी देवी-देवताअों ने भाग लिया था। 

 

विवाह से पूर्व सभी देवताअों ने यहां स्नान किया इसलिए यहां तीन कुंड बने। जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड अौर ब्रह्मा कुंड कहा जाता है। इन कुंडों में जल सरस्वती कुंड से आता है। सरस्वती कुंड का निर्माण भगवान विष्णु की नासिका से हुआ था इसलिए माना जाता है कि इन कुंडों में स्नान करने से महिलाओं को बांझपन से मुक्ति मिलती है।

 


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