तस्वीरों में करें, पुरी के जगन्नाथ मंदिर से निकली रथयात्रा के दर्शन

punjabkesari.in Thursday, Jul 07, 2016 - 10:05 AM (IST)

पुरी का जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है। यह मंदिर लगभग 800 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। जिसमें श्रीराधाकृष्ण का युगल स्वरूप है, साथ ही  उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा का भी पूजन किया जाता है।

 

कल ओडिशा के पुरी नगर में आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। इस में विश्व से आए लाखों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ 16 पहियों के रथ में सवार हो कर भक्तों को दर्शन देने आए। रथयात्रा को गाजे-बाजे के साथ बड़ी धूमधाम से निकाला गया। तीनों विग्रहों का श्रृंगार के बाद विधिवत पूजन कर रथयात्रा का आरंभ किया गया। भक्त पूरी श्रद्धा से रथयात्रा में भाग लेकर श्री हरिनाम रसधारा का गुणगाण कर झूमते नजर अाए।

 

भारत में जितने भी महोत्सव मनाए जाते हैं उनका अपना-अपना महत्व है लेकिन   जगन्नाथपुरी की रथयात्रा अत्यधिक महत्वपूर्ण है। परंपरागत रूप से निकाली जाने वाली रथयात्रा न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र है। माना जाता है की जो व्यक्ति इस रथयात्रा में भाग लेकर उनके रथ को खींचता है उसे सौ यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता और वो भगवान के परमधाम का अधिकारी बनता है।

 

जगन्नाथ मंदिर की रसोई विश्व की सबसे बड़ी रसोई है। इस विशाल रसोई में जितना भी भोजन पकाया जाता है माना जाता है की उसका निर्माण माता लक्ष्मी की देख-रेख में ही होता है। प्रसाद बनाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रख दिए जाते हैं। यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर पकाए जाते हैं। इस बीच सबसे ऊपर रखे बर्तन में रखा भोजन पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है। कल रथयात्रा के उत्सव पर जग के नाथ को खिचड़ी का भोग लगाया गया। टनों के हिसाब से खिचड़ी बनाई गई और सैकड़ों भक्तों में बांटी गई।

- श्री रमानी मोहन दास 


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