श्रीकृष्ण संग शनि कृपा का लाभ पाने के लिए करें इस धाम की यात्रा

punjabkesari.in Friday, Nov 20, 2015 - 11:49 AM (IST)

जब श्री कृष्ण ने जन्म लिया तो सभी देवी-देवता उनके दर्शन करने नंदगांव पधारे। कृष्णभक्त शनिदेव भी देवताओं संग श्रीकृष्ण के दर्शन करने नंदगांव पहुंचे परंतु मां यशोदा ने उन्हें नंदलाल के दर्शन करने से मना कर दिया क्योंकि मां यशोदा को डर था कि शनि देव कि वक्र दृष्टि कहीं कान्हा पर न पड़ जाए परंतु शनिदेव को यह अच्छा नहीं लगा और वो निराश होकर नंदगांव के पास जंगल में आकर तपस्या करने लगे। शनिदेव का मानना था कि पूर्णपरमेश्वर श्रीकृष्ण ने ही तो उन्हें न्यायाधीश बनाकर पापियों को दण्डित करने का कार्य सोंपा है तथा सज्जनों, सत-पुरुषों, भगवत भक्तों का शनिदेव सदैव कल्याण करते हैं।
 
कोयल के रूप में श्रीकृष्ण की लीला: पूर्णपरमेश्वर श्रीकृष्ण शनिदेव कि तपस्या से द्रवित हो गए और शनिदेव के सामने कोयल का रूप लेकर प्रकट हुए और कहा – हे शनि देव आप निःसंदेह अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित हो और आप के ही कारण पापियों, अत्याचारियों और कुकर्मिओं का दमन होता है। आप का ह्रदय तो पिता कि तरह सभी कर्तव्यनिष्ठ प्राणियों के लिए द्रवित रहता है और उन्हीं की रक्षा के लिए आप एक सजग और बलवान पिता कि तरह सदैव उनके अनिष्ट स्वरूप दुष्टों को दंड देते रहते हो। श्रीकृष्ण ने शनिदेव से कहा के यह बृज-क्षेत्र उन्हें परम प्रिय है और इसलिए हे शनिदेव आप इसी स्थान पर सदैव निवास करो क्योंकि कोयल के रूप में आप से मिला हूं इसलिए आज से इस पवित्र स्थान का नाम “कोकिलावन” के नाम से विख्यात होगा। 
 

कोकिलावन स्थित कृष्ण-शनि धाम का महत्म: बृजमंडल के कोकिलावन में आने वाले हर प्राणी पर शनिदेव विनम्र रहते हैं। कोकिलावन में आने वाले हर भक्त पर शनिदेव के साथ साथ श्रीकृष्ण की कृपा भी बनी रहती है तथा भक्तों पर शनि ढाईया, साडेसाती, महादशा, अंतर्दशा का शुभ प्रभाव पड़ता है। कोकिलावन धाम स्थित शनि मंदिर यहां आकर्षण का केंद्र है। भक्तगण कोकिलावन के मार्ग की परिक्रमा करते हैं। मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण ने जब शनिदेव को दर्शन दिया था तब आशीर्वाद भी दिया कि यह कोकिलावन उनका है और जो कोकिलावन की परिक्रमा कर शनि पूजन करेगा, वह कृष्ण संग शनि की कृपा भी प्राप्त करेगा। 


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