हनुमान जी के 7 चमत्कारी मंदिर, जहां भक्तों की होती हैं मुरादें पूरी
punjabkesari.in Monday, Aug 08, 2016 - 09:11 AM (IST)

रामभक्त हनुमान के विश्व में बहुत से मंदिर हैं। उनके कुछ ऐसे भी मंदिर है जहां व्यक्ति की प्रत्येक इच्छाएं पूर्ण होती हैं। ये तीर्थ श्रीराम की नगरी अयोध्या से लेकर विन्ध्याचल पर्वत तक फैले हैं। माना जाता है कि इन हनुमान मंदिरों में भगवान श्रीराम का नाम लेकर मन्नत मांगने पर अवश्य पूर्ण होती है। आइए जानें कुछ हनुमान मंदिरों के बारे में-
हनुमानगढ़ी में विराजमान हैं हनुमान जी
अयोध्या के राजा भगवान राम हैं परंतु यहां का सबसे प्रमुख श्री हनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर हनुमानजी हनुमानगढ़ी में विराजमान हैं। उनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। कहा जाता है कि जब इस मंदिर में हनुमान जी की आरती होती है तो उस समय मन्नत मांगने पर पूर्ण हो जाती है। कहा जाता है कि लंका विजय के पश्चात हनुमानजी पुष्पक विमान में श्रीराम सीता और लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आए थे अौर तभी से वो हनुमानगढ़ी में विराजमान हो गए। ये भी कहा जाता है कि जब भगवान राम परमधाम जाने लगे तो उन्होंने अयोध्या का राज-काज हनुमान जी को ही सौंपा अौर तभी से हनुमान जी ने ये कार्य संभाला हुआ है।
पंचमुखी हनुमान जी
कानपुर के पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर स्थित है। इसी स्थान पर हनुमान अौर लवकुश का युद्ध हुआ था। युद्ध में परास्त होने के पश्चात माता सीता ने हनुमान जी को भोजन करवाया था। माता सीता ने हनुमान जी को लड्डु खिलाए थे इसलिए उन्हें लड्डुओं का ही भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में लड्डुअों को चढ़ाने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
मूर्छित हनुमान जी
प्रयाग में संगम तट पर हनुमान जी का एक मंदिर है जहां हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा है। कहा जाता है कि रावण के साथ युद्ध के पश्चात हनुमान जी थक गए थे इसलिए आराम करने के लिए इस स्थान पर लेट गए थे। भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने हेतु हनुमान जी यहां आए थे। उन्हें इतनी कमजोरी का अनुभव हो रहा था कि उन्होंने प्राण त्यागने का निर्णय किया परंतु मां सीता ने सिंदूर का लेप लगाकर उन्हें नया जीवन प्रदान किया था। यहां हनुमान जी पर लाल सिंदूर का लेप करने पर संपूर्ण इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। यहां लाल रंग का ध्वज चढ़ाने पर भी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
यहां विराजित है हनुमान जी की खंड़ित प्रतिमा
राम भक्त हनुमान जी चंदौली के कमलपुरा गांव में बरगद के पेड़ से प्रकट हुए थे। वैसे खंडित प्रतिमा की पूजा सनातन धर्म में नहीं होती है परंतु बरगद वाले हनुमान खंडित है। माना जाता है कि बरगद वाले हनुमान स्वयंभू हैं। माना जाता है कि जब हनुमान जी प्रकट हुए तो उनके माथे पर सोने का मुकुट था। एक व्यापारी ने लालच में आकर उनका मस्तक ही काट लिया। प्रतिमा के माथे से खून बहता देख व्यापारी डर गया अौर भाग गया परंतु उसका जहाज डूब गया। उस समय से ही यहां हनुमान जी की खंडित प्रतिमा की पूजा होती है। स्थानीय लोग सुबह-शाम हनुमान जी की आरती करते हैं अौर शनिवार वाले दिन लाल पुष्प अौर सिंदूर का अर्पण करते हैं।
झांसी के हनुमान
झांसी में हनुमान जी का मंदिर स्थित है। जहां हर अोर पानी ही पानी बिखरा रहता है। इस पानी के बारे में कोई नहीं जानता कि ये कहां से आता है। यहां हनुमान जी की पूजा पानी केे बीच ही पूरी होती है। कहा जाता है कि यहां के पानी में औषधीय गुण हैं, जिससे चर्म रोगों से छुटकारा मिलता है।
गाजीपुर में स्थित हनुमान मंदिर
हनुमान जी का एक मंदिर गाजीपुर में भी स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी इस स्थान पर पाताल का सीना चीर कर बाहर निकले थे। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना महर्षि विश्वामित्र के पिता ने की थी। माना जाता है कि इस मंदिर में विराजित हनुमान जी का पहले सिर्फ मुख दिखाई देता था परंतु अब प्रतिमा के बाकी के हिस्सों के भी दर्शन होने लगे हैं।
बंधवा हनुमान जी
विन्ध्याचल पर्वत के समीप बंधवा हनुमान जी विराजित हैं। इन्हें यहां बंधवा हनुमान के नाम से पुकारा जाता है। यहां विराजित प्रतिमा के बारे में किसी को नहीं पता कि यह कब से यहां है। भक्तों का कहना है कि हनुमान जी सबसे पहले बालरुप में एक वृक्ष से प्रकट हुए थे अौर अपने आप बढ़ रहे हैं। बहुत से भक्त शनिदेव के प्रकोप से बचने हेतु यहां आते हैं। कहा जाता है कि भक्त शनिवार को लड्डू, तुलसी और पूलों का अर्पण करते हैं। जिससे साढेसती का कष्ट कम होता है। यहां पर बाल रुप में विराजे हनुमानजी का स्वरुप बच्चों की भांति ही है। इनके इस रुप के दर्शन करने से मन में ममता जागृत होती है अौर सांसारिक मोह माया से मुक्ति मिलती है।