भोजशाला का विवाद ऐसे हो सकता है समाप्त

punjabkesari.in Thursday, Feb 11, 2016 - 08:38 AM (IST)

वास्तुशास्त्र के अनुसार दुनिया के किसी भी कोने में विवाद होते हैं चाहे वह दो व्यक्तियों के मध्य हो या दो राष्ट्रों के मध्य उसमें पूर्व आग्नेय के वास्तुदोष की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पूर्व आग्नेय के वास्तुदोष जैसे पूर्व आग्नेय अर्थात् दक्षिण पूर्व दिशा के पूर्व दिशा वाले भाग में बढ़ाव, किसी भी प्रकार गड्ढा या किसी भी प्रकार से पूर्व आग्नेय के नीचा होना इत्यादि।

यह जानकारी देते द नेब्यूला इन्टरनेशनल स्कूल आफ सांईटिफिक वास्तु के डायरेक्ट वास्तु गुरु श्री कुलदीप सलूजा ने बताया कि, भोजशाला का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में वास्तुनुकूल स्थान पर स्थित है। भोजशाला परिसर के बाहर मुख्यद्वार के पास ही मौला कमाल की दरगाह है। इसके अलावा भोजशाला के बाहर पूर्व दिशा में कब्रिस्तान है।

भोजशाला एक आयताकार भवन है जो बीच में खुला हुआ है। खुले भाग के मध्य में यज्ञ कुण्ड बना हुआ है। मुख्य स्थान (गर्भगृह) पश्चिम दिशा में है जहां मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज अदा की जाती है। भोजशाला की यह बनावट तो वास्तुनुकूल है परन्तु भोजशाला परिसर के अन्दर पूर्व आग्नेय में छत पर जाने के लिए सीढि़यां बनी हुई हैं। उन सीढि़यों के पीछे एक कमरा बना है कमरे के अन्दर का फर्श बाहर के फर्श की तुलना में बहुत नीचा है। जिसमें वर्तमान में भोजशाला से निकले हुए कुछ पत्थर पड़े हुए हैं। इसी के साथ परिसर के खुले भाग की दक्षिण दिशा से लेकर पूर्व आग्नेय तक का भाग पत्थर उखड़ने के कारण नीचा भी हो गया है। पूर्व आग्नेय के इन्हीं वास्तुदोष के कारण यहां विवाद होते हैं।

श्री सलूजा ने कहा कि, इस विवाद को समाप्त करने के लिए शासन को चाहिए कि वह भोजशाला परिसर में पूर्व आग्नेय के इस गड्ढे को मिट्टी भरकर समतल कर दे और दक्षिण दिशा से लेकर पूर्व आग्नेय तक के भाग को बाकी फर्श के बराबर कर दें तो ही भोजशाला का विवाद समाप्त हो सकेगा।

 


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