मथुरा का ये प्रसिद्ध मंदिर भाई-बहन की इस जोड़ी को है समर्पित

punjabkesari.in Tuesday, Jan 30, 2018 - 04:14 PM (IST)

विश्वभर में बहुत से देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित है। जिन में भगवान शिव, श्री विष्णु, राधा-कृष्ण आदि के बहुतयात में मंदिर पाए जाते हैं। लेकिन देशभर में एेसे भी कई मंदिर जो अपने इतिहास और विभिन्न प्रकार की मान्यताओं को लेकर बेहद प्रसिद्ध है। इन मंदिरों की सूची में एक नाम मथुरा के मंदिर का है। आप सोच रहे होंगे कि बेशक वो मथुरा का ये मंदिर राधा-कृष्ण को समर्पित होगा। तो आपको बता दें कि मंदिर राधा-कृष्ण को नहीं यमराज और उनकी बहन को समर्पित है। यह मंदिर मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर बना हुआ है। इस मंदिर में भाई-बहन की एक खास जोड़ी की पूजा की जाती है, वो जोड़ी है भगवान यमराज और उनकी बहन यमुना देवी की।


पौराणिक कथा
कथा के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नि संज्ञा के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी। लेकिन सूर्य के ताप को सहन नहीं करने की वजह से उन्होंने छाया को अपनी जगह छोडकर चली गई। छाया से ताप्ती और शनि पैदा हुए। छाया का यमुना और यम से अच्छा व्यवहार नहीं होने पर यम ने एक नई नगरी का निर्माण किया। जो श्रीकृष्ण के अवतार के समय गो लोक चली आई। भाई से स्नेह के कारण कई बार यमराज से अपने यहां आने की प्रार्थना की। आखिर में एक दिन यमराज अपनी बहन से मिलने के लिए आए। लेकिन वह उनको गो लोक में मिली।

 

जहां उन्होंने अपने भाई यमराज को खाना खिलाया। यमराज ने जब उन्हें कुछ वर मांगने को कहा तो उन्होंने कहा कि मेरे जल में स्नान करने वाले चाहे स्त्री हो या पुरूष। यम लोक ना जाए। यह वरदान देना यम के लिए मुश्किल था। इस बात का ज्ञान होते ही यमुना बोली आप चिंता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहाँ भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वे तुम्हारे लोक को न जाएं। इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया।

 

भाई-बहन की जोड़ी का एकमात्र मंदिर
मथुरा का यह मंदिर बहुत ही खास माना जाता है, क्योंकि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है। जहां पर भाई-बहन की जोड़ी को पूजा जाता है। मान्यता है कि जो कि जो भी भाई-बहन इस मंदिर में साथ दर्शन करते हैं और फिर यमुना नदी में डुबकी लगाते हैं,  तो उसको जीवन-मृत्यु के झंझट से मुक्ति मिल जाती हैं।

 

रक्षा-बंधन और भाई दूज पर लगती है भाई-बहनों की भीड़
मान्यता है कि भाई दूज पर भगवान यमराज यहीं पर अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे और उन्होंने यमुना देवी के हाथ का बना खाना खाया था। इसी कारण से यहां पर भाई-बहन के प्यार के प्रतीक दोनों ही त्योहार रक्षा बंधन और भाई दूज पर भक्तों की बहुत भीड़ लगती है। इन दिनों में भाई-बहन यहां आकर एक-दूसरे के लिए मंगल कामना करते हैं।


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