World Breastfeeding Week: जानें क्यों मनाया जाता है विश्व स्तनपान सप्ताह, नई माताएं रखें इन बातों का ध्यान
punjabkesari.in Sunday, Aug 04, 2024 - 09:38 AM (IST)
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World Breastfeeding Week: मां का पहला पीला गाढ़ा दूध नवजात के लिए अमृत समान होता है इसलिए नवजात को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान जरूर कराएं। यह संक्रामक बीमारियों से सुरक्षित बनाने के साथ ही शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाता है। निमोनिया, डायरिया व अन्य संक्रामक बीमारियों की जद में आने से बचाने में पूरी तरह से कारगर है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम मां के पहले पीले गाढ़े दूध (कोलस्ट्रम) को इसीलिए बच्चे का पहला टीका भी माना जाता है। स्तनपान शिशु का मौलिक अधिकार भी है। स्तनपान के फायदे के बारे में जानना हर महिला के लिए जरूरी है। इसके प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल अगस्त माह के पहले हफ्ते को विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) के रूप में मनाया जाता है।
इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का थीम- ‘अंतर को कम करना, सभी के लिए स्तनपान सहायता’ (क्लोजिंग द गैप : ब्रैस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल) तय किया गया है। शिशु को छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। इस दौरान बाहर की कोई भी चीज नहीं देनी चाहिए, यहां तक कि पानी भी नहीं। छह माह तक मां के दूध के अलावा कुछ भी देने से संक्रमित होने की पूरी आशंका रहती है। अमृत समान मां के अनमोल दूध में सभी पौष्टिक तत्वों के साथ पानी की मात्रा भी भरपूर होती है।
इसीलिए 6 माह तक मां अगर बच्चे को भरपूर स्तनपान कराती है तो ऊपर से पानी देने की कोई आवश्यकता नहीं है। बच्चे की खुशहाली और दूध का बहाव अधिक रखने के लिए जरूरी है कि मां प्रसन्नचित रहे और तनाव व चिंता को करीब भी न आने दें। इसके अलावा बीमारी की स्थिति में भी मां बच्चे को पूरी सावधानी के साथ स्तनपान जरूर कराए क्योंकि यह बच्चे को बीमारी से सुरक्षित बनाता है।
मां को यह भी जानना जरूरी है कि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब कर रहा है तो यह समझना चाहिए कि उसे भरपूर खुराक मिल रही है। इसके साथ ही स्तनपान के बाद बच्चा कम से कम 2 घंटे की नींद ले रहा है और बच्चे का वजन हर माह 500 ग्राम बढ़ रहा है तो किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह प्रमाण है कि शिशु को भरपूर मात्रा में मां का दूध मिल रहा है।
शिशु के लिए स्तनपान के लाभ
मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम पोषक तत्व होता है, सर्वोच्च मानसिक विकास में सहायक होता है और संक्रमण जैसे- दस्त-निमोनिया आदि से सुरक्षित बनाता है। इसके अलावा दमा व एलर्जी से भी सुरक्षित बनाता है। शिशु को ठंडा होने से बचाता है और प्रौढ़ व वृद्ध होने पर उम्र के साथ होने वाली बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
मां के लिए स्तनपान कराने के फायदे
नवजात को शीघ्र और नियमित स्तनपान कराने से जन्म के पश्चात रक्तस्राव और एनीमिया से बचाव होता है। इसे एक कारगर गर्भनिरोधक के रूप में भी माना जाता है। मोटापा कम करने और शरीर को सुडौल बनाने में भी यह सहायक होता है। शिशु को स्तनपान कराने से स्तन और अंडाशय के कैंसर से भी बचाव होता है।
बोतल से दूध पिलाने और कृत्रिम आहार के जोखिम
कृत्रिम आहार या बोतल के दूध में पोषक तत्वों की मात्रा न के बराबर होती है इसलिए यह बच्चे के पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। कुपोषित होने के साथ ही संक्रमण का जोखिम भी बना रहता है। बौद्धिक विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
छह माह तक लगातार शिशु को केवल स्तनपान कराने से दस्त रोग को 11 प्रतिशत और निमोनिया के मामले को 15 प्रतिशत कम किया जा सकता है। नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-5 (2020-21) के अनुसार उत्तर प्रदेश में जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने की दर 23.9 प्रतिशत है। इसी तरह 6 माह तक बच्चे को केवल स्तनपान कराने की दर एन.एफ.एच.एस.-5 के सर्वे में 59.7 प्रतिशत रही जबकि एन.एफ.एच.एस.-4 के सर्वे में यह 41.6 प्रतिशत थी।