क्यों इस नदी को कहा जाता है त्रिपुरारी की पुत्री ?

punjabkesari.in Thursday, Jul 18, 2019 - 04:36 PM (IST)

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हमारे देश में गंगा को देवी माना जाता है। यही कारण है कि यहां नदियों की पूजा की जाती है। इसका एक कारण ये भी है कि गंगा भगवान शंकर के सिर पर विराजमान हैं। कहते हैं कि गंगा के तेज़ बहाव को कम करने के लिए भोलेनाथ ने इन्हें अपनी जटाओं में सजा लिया था। जिस वजह से गंगा का महादेव से अनोखा व अद्भुत सा रिश्ता है। मगर आप जानते हैं ऐसा ही एक रिश्ता है नर्मदा का भोलेनाथ से। हिंदू धर्म के ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार नर्मदा को भगवान शंकर की पुत्री बताया गया है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा में स्नान करने से कालसर्प दोष पितृदोष आदि कई परेशानियों का अंत हो जाता है। विष्णु पुराण में तो कहा गया है नर्मदा का जल ग्रहण करने से ही साप भाग जाते हैं।

यहां जानें इससे जुड़ी खास जानकारी-
प्राचीन समय में एक बार भगवान शंकर लोक कल्याण हेतु तपस्या करने मैकाले पर्वत पहुंचे। वहां उनके पसीने की बूंदों से पर्वत पर एक कुंड का निर्माण हुआ इसी क्रम में एक बालिका उत्पन्न हुई जो शंकरी व नर्मदा कहलाई। कहा जाता है कि शिव के आदेश के अनुसार वह एक नदी के रूप में देश के एक बड़े भूभाग में आवाज़ करती हुई प्रभावित होने लगी जिसके चलते इसका नाम रेवा भी प्रसिद्ध हुआ। मैकाले पर्वत पर उत्पन्न होने के कारण वह मैकाले सुता भी कहलाई।
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एक अन्य कथा के अनुसार चंद्र वंश के राजा हिरण्य तेजा के पितरों को तर्पण करते हुए यह एहसास हुआ कि उनके पितृ अतृप्त है। उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की और उन्हें वरदान स्वरूप नर्मदा को पृथ्वी पर अवतरित करवाया। भगवान श्री प्रकाश शुक्ला सप्तमी पर नर्मदा को लोग कल्याणार्थ पृथ्वी पर जल स्वरूप होकर प्रवाहित रहने का आदेश दिया नर्मदा द्वार वर मांगने पर भगवान शिव ने नर्मदा के हर पत्थर को शिवलिंग का पूजन का आशीर्वाद दिया कि तुम्हारे दर्शन से ही मनुष्य पूर्णता को प्राप्त करेगा, इसी दिन को हम नर्मदा जयंती के रूप में मनाते हैं।

 


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Jyoti

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