सृष्टि के पालनकर्ता श्री हरि के क्षीर सागर पर विश्राम करने का क्या है रहस्य?

punjabkesari.in Thursday, Jan 06, 2022 - 03:37 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों में 33 कोटि देवी-देवता के स्वरूप का वर्णन किया है। इसमें प्रत्येक देवी-देवता के विभिन्न चित्र दर्शाए गए हैं। प्रत्येक देवी-देवता का अपना अलग वाहन बताया गया है, तो वहीं इसमें वर्णित चित्र में देखने को मिलता है कि हर देवी-देवता अलग-अलग मुद्राओं में विराजमान होते हैं। इनकी इन्हीं मुद्राओं आदि से कई तरह के पौराणिक जुड़े हुए होते हैं। आज हम आपको इससे ही संबंधित कुछ जानकारी देने जा रहे हैं। दरअसल हम बात करने वाले हैं भगवान विष्णु की, जिन्हें हिंदू धर्म शास्त्रो में श्री हरि, नारायण, लक्ष्मी पति, आदि अन्य कई नामों से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथ हो या धार्मिक चित्र आदि अक्सर देखा जाता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर लेटे होते हैं। इस मुद्रा में विष्णु भगवान बहुत ही शांत मुद्रा में आराम करते पाए जाते हैं। धार्मिक शास्त्रों में भगवान विष्णु जगत पिता कहलाते हैं। पर क्या आप में से कभी किसी ने सोचा है कि जगत पिता कहलाने वाले सृष्टि के पालनकर्ता आखिर कैसे हमेशा शांत मुद्रा में विश्राम कर सकते हैं? अगर आपके मन में ये सवाल आया है तो चलिए इस सवाल का जवाब जानते हैं। 

इसलिए शेषनाग पर आराम करते हैं नारायण-
कहा जाता है भगवान विष्णु की ये मुद्रा बुरे वक्त में संयम और धीरज रखने और मुश्किलों को नियंत्रित करने की प्रेरणा देते हैं। क्षीर सागर को सुख का प्रतीक बताया गया है और शेषनाग को काल यानी सुख का प्रतीक माना गया है। ऐसे में नारायण का ये स्वरूप काल, दुख, विपत्तियों और भय से मुक्त होकर सभी परिस्थिति में एक-सा रहने की प्रेरणा देता है। जिस तरह श्री हरि पर संसार की जिम्मेदारी है, उसी तरह हर व्यक्ति भी कर्तव्य और जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है।

इन दायित्वों का निर्वहन करते हुए ही व्यक्ति के जीवन में तमाम समस्याएं और परेशानियां आती हैं। कई बार ये परेशानियां व्यक्ति को बुरी तरह प्रभावित करती हैं और वो पूरी तरह टूट जाता है। ऐसे में व्यक्ति को नारायण की प्रतिमा देखकर प्रेरणा लेनी चाहिए कि श्री हरि वे विपरीत परिस्थितियों में भी शांत, स्थिर, निर्भय तथा निश्चिंत हैं और धर्म पालन कर रहे हैं। नाग की शैय्या पर शयन करने के बावजूद भी नारायण भगवान भी विचलित नहीं होते। ठीक उसी तरह मानव जीवन में व्यक्ति को अपने जीवन की हर परिस्थिति का शांत रहकर सामना करना चाहिए। 

इसके अलावा जानिए क्या भगवान विष्णु को कहा जाता है श्री हरि-
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हरि का अर्थ है हरने वाला। जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में संकट आता है और वे व्यक्ति भगवान विष्णु का सच्चे दिल से स्मरण करता है, तो प्रभु उसके सारे दुख और पाप हर लेते हैं। अतः इसीलिए भगवान विष्णु के भक्त उन्हें श्रीहरि और हरि के नाम से पुकारा जाता है। 


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Content Writer

Jyoti

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