Kundli Tv- क्यों हर जगह नहीं होती ब्रह्मा की पूजा?
punjabkesari.in Saturday, Dec 08, 2018 - 04:17 PM (IST)

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धरती का आधार त्रिदेव कहे जाते हैं। जिसमें जगत पिता ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण करने वाले विष्णु को सृष्टि के पालनहार एवं भगवान भोले शंकर को संहार कर सृष्टि चक्र को पूरा करने वाला माना जाता है। क्या आपने कभी सोचा है ब्रह्मा जी ने सारी सृष्टि की रचना की है, फिर भी सृष्टि में उनकी कहीं भी पूजा नहीं की जाती। आखिर ऐसा क्यों है? ब्रह्मा जी को त्रिदेव में खास स्थान मिला हुआ है फिर भी उनकी पूजा क्यों नहीं होती। केवल जब कोई यज्ञ किया जाता है उस वक्त अग्नि की स्थापना होने के बाद ब्रह्मा जी की यज्ञ वेदी से दक्षिण में स्थापना करके पूजा की जाती है। जब पूर्ण आहुति हो जाती है तो उसका विसर्जन कर दिया जाता है। केवल पुष्कर में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है जहां उनकी पूजा होती है। इस संबंध में शास्त्रों में एक कथा भी है।
जब ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे तो सबसे पहले मानसी सृष्टि की रचना के दौरान सनक, सनन्दन, सनातन व सनत कुमार प्रकट हुए। चार साल की आयु में यह बच्चे नारायण-नारायण करते हुए श्री हरि विष्णु की भक्ति में लीन हो गए। इससे ब्रह्मा जी का धरती निर्माण का काम एक बार फिर रुक गया। तब ब्रह्मा जी ने अपनी गर्दन के सामने वाले भाग से एक पुत्र पैदा किया जिसका नाम उन्होंने नारद रखा। ब्रह्मा जी ने नारद से कहा तुम विवाह करो तथा सृष्टि बनाने में तुम मेरी सहायता करो। इतना सुनकर नारद जी कहने लगे पिता जी मैं तो श्री हरि की भक्ति ही करूंगा। विवाह नहीं करूंगा।
ब्रह्मा जी ने नारद को बहुत समझाया। मगर नारद जी ब्रह्मा जी के बार-बार समझाने के बाद भी श्री हरि विष्णु की भक्ति करने पर ही अड़े रहे। जब वह नहीं माने तो ब्रह्मा जी को क्रोध आ गया। तब क्रोध में नारद को ब्रह्मा जी ने कहा तुमने मेरी बात नहीं मानी। अत: मेरे श्राप से तुम्हारा सारा ज्ञान खत्म हो जाएगा। तुम गंधर्व योनि में जन्म लेकर पचास पत्नियों के पति बनोगे। विषय वासना में तुम हमेशा रत रहोगे। अनेक प्रकार के शृंगार व गायन में तुम्हारा मन रमा रहेगा। उस समय उपर्वहण नाम से तुम्हारी इस संसार में पहचान बनेगी। विषय वासना में पूरी तरह रम कर तुम फिर से दासी के गर्भ से पैदा होगे। उस जन्म में तुम विद्वानों की संगत करोगे तथा उनका जूठा खाने से फिर से तुम मेरे पुत्र के रूप में पैदा होगे तब मैं तुम्हें ज्ञान दूंगा।
ब्रह्मा जी का श्राप सुनकर नारद जी आश्चर्यचकित रह गए तथा कहने लगे पिता जी आपने जो श्राप दिया है वह सही नहीं है। मैं सत्य के मार्ग पर चलना चाहता हूं। श्री हरि विष्णु की भक्ति करना चाहता हूं इसलिए आपकी आज्ञा का पालन न कर मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। आपने मुझे श्राप देकर ठीक नहीं किया। आप असत्य की राह पर चल रहे हैं। अब अगर आपको मैं श्राप के बदले श्राप दूं तो कुछ भी गलत नहीं होगा।
तभी नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया। नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा कि मैं आपको श्राप देता हूं सारे संसार में कवच, स्तोत्र तथा पूजा सहित मंत्रों का नाश हो जाएगा। अगले तीन कल्प तक आपकी पूजा नहीं होगी। स्वतंत्र रूप से आपका यज्ञ भाग बंद हो जाएगा। आप केवल देवताओं में ही पूजे जाएंगे। सृष्टि के किसी भी घर में आपकी पूजा-अर्चना नहीं होगी तथा कहीं भी आपकी प्रतिमा भी स्थापित नहीं होगी।
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