Kundli Tv- क्यों आरती के बाद बोला जाता है कर्पूरगौरम...
punjabkesari.in Friday, Sep 28, 2018 - 09:59 AM (IST)
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हिंदू धर्म में एेसे बहुत से मंत्र आदि हैं, जिनका प्रयोग आरती के बाद किया जाता है। आज हम आपको भगवान शिव की स्तुति से जुड़ा एक एेसा ही मंत्र बताने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मंत्र से भगवान शिव और माता पार्वती की स्तुति करते हैं।
यहां जानें मंत्र-
कर्पूरगौरम करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
ये है इस मंत्र का अर्थ
इस मंत्र से शिवजी की स्तुति की जाती है। इसका अर्थ इस प्रकार है-
कर्पूरगौरम- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।
करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।
संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।
भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।
सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ हमेशा मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।
मंत्र का पूरा अर्थ- जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।
क्यों किया जाता है इस मंत्र का जाप-
मान्यता है कि इस मंत्र का उच्चारण या कह सकते हैं कि भगवान शंकर की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी जाती है। जिस कारण इसको इतना महत्व दिया जाता है।
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