Iran-America के पंगे का अंत में क्या होगा?

Thursday, Jan 09, 2020 - 09:02 AM (IST)

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अमेरिका द्वारा 3 जनवरी को इरान के कुर्द फौजों के प्रमुख कासिम सुलेमानी को मारे जाने के बाद पूरे मिडिल ईष्ट में तनाव की स्थिति है। अमेरिका की इस कार्रवाई के जवाब में इरान ने बुधवार सुबह तड़के इराक में स्थित अमेरिका के सैन्य ठिकानों पर हमला बोल दिया। इस हमले के बाद पूरी दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध की चर्चा होने लगी है। एक तरफ जहां इज़राइल, यू के और जर्मनी जैसे देश खुलकर अमेरिका के समर्थन में आ गए हैं। वहीं दूसरी तरफ रूस ने इस पूरे मामले में अमेरिका के खिलाफ स्टैंड ले लिया है। पूरी दुनिया को चिंता है कि इरान और अमेरिका के मध्य शुरू हुए इस तनाव के चलते स्थितियां बिगड़ सकती हैं। इस तनाव का अंतिम परिणाम क्या होगा उसके नतीजे तक पहुंचने से पहले आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आख़िर ये स्थिति उत्पन्न क्यों हुई है और इन तनाव के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार हैं। ये पूरा मामला पिछले एक महीने के दौरान ही गरमाया है। 26 दिसंबर को लगे सूर्य ग्रहण से पहले ही इस तरह स्थितियां उत्पन्न होनी शुरू हो गई थी। 

दिसंबर में अग्नि तत्व की राशि धनु में ग्रहों के जमावड़े से ही दुनिया भर में उथल-पुथल के संकेत मिल गए थे। 26 दिसंबर को धनु राशि में लगे ग्रहण के वक्त इस राशि में सूर्य और केतु के अलावा शनि, गुरु, बुध और चंद्रमा धनु राशि में ही थे और ये 1962 के बाद लगा सबसे बड़ा ग्रहण था। इस ग्रहण के प्रभाव से ही दुनिया भर में आग से संबंधित घटनाएं हो रही हैं। चाहे वो ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग हो या इरान अमेरिका के मध्य के बीच छिड़ा तनाव या फिर इरान में हुआ विमान हादसा। अब सवाल ये है कि ये तनाव कम कब होगा और इसका जवाब भी ग्रहों के खेल में ही छिपा है और तनाव कम होने की शुरूआत 10 जनवरी को गुरू की स्थिति में परिवर्तन के साथ शुरू हो जाएगी।

15 दिसंबर से अस्त चल रहे देवगुरु बृहस्पति 10 जनवरी को उदय हो जाएंगे। इसके तीन दिन बाद बुध 13 जनवरी को धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे जबकि इसके अगले ही दिन सूर्य भी अग्नि तत्व की धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 24 जनवरी को शनि का राशि परिवर्तन होगा और शनि भी इस राशि को छोड़कर मकर राशि में चले जाएंगे। 24 जनवरी के बाद धनु राशि में सिर्फ गुरु औऱ केतु रहेंगे और धनु राशि गुरु की मूल त्रिकोण राशि होने के कारण देवगुरु बृहस्पति को मजबूती मिलेगी और बृहस्पति की मजबूती के साथ ही मिडिल ईस्ट में जारी तनाव में कमी की शुरूआत हो सकती है।

हालांकि इरान और अमेरिका के मध्य छिड़े तनाव के चलते तीसरा विश्व युद्ध की अटकलें लगाई जा रही हैं लेकिन शनि की स्थिति इस तरफ इशारा नहीं करती। 1914 से लेकर 1918 से मध्य जब पहला विश्व युद्ध हुआ था तो इस विश्व युद्ध का आधार 1912 से लेकर 1914 के बीच उस समय तैयार हुआ था जब शनि नीच राशि में गोचर कर रहा था। इसी प्रकार दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1940 में भी शनि नीच राशि में ही था। फिलहाल 24 जनवरी के बाद शनि की स्थिति बेहतर होगी और शनि अपनी राशि में गोचर करेंगे। ज्योतिष के लिहाज से विश्व युद्ध की शुरूआत होने की स्थिति फिलहाल सितारों के लिहाज से बनती नज़र नहीं आ रही है।
नरेश कुमार

      

Niyati Bhandari

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