जानें, उपवास का हमारे शरीर पर क्या है असर ?

punjabkesari.in Thursday, Jul 25, 2019 - 05:42 PM (IST)

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पुराने समय में हर व्यक्ति उपवास रखता था, लेकिन आज के समय ऐसे व्यक्ति कम ही देखने को मिलते हैं जो व्रत करते हों। बुद्धिजीवी वर्ग इसे अंध श्रद्धा का नाम देता हैं तो स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने वाले इसे शरीर के लिए बेहतर कर्म बताते हैं। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि क्या उपावास करना ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है या इसका वैज्ञानिक पहलू भी है, आइए जानते हैं इसके बारे में। 
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उपवास रखने के मायने हर जगह अलग-अलग होते हैं। हिंदू धर्म में इसके मायने अलग हैं, इसके साथ ही बात करें विज्ञान की तो वे इसे बीमारियों के खिलाफ कारगर हथियार के तौर पर भी देख रहा है। चलिए आगे जानते हैं इसे रखने के फायदों के बारे में। 

फायदा 
वैज्ञानिकों ने चूहों के दो ग्रुप बनाए। एक को उपवास कराया और दूसरे को नहीं। भोजन के बीच में लंबा अंतराल रखना, यानि एक दिन उपवास रखते हुए सिर्फ पानी पीना। जिन चूहों को ऐसा कराया गया वे पांच फीसदी ज्यादा जिए। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने बुढ़ापे से जुड़ी 200 समस्याओं पर गौर किया। बुढ़ापे पर उपवास का कोई असर नहीं पड़ता। 
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ऐसा माना गया है कि शुरू में उपवास करने से शरीर परेशान होता है, लेकिन वक्त के साथ उसे भूखे पेट रहने की आदत पड़ जाती है। 12 घंटे तक कुछ न खाने वाले लोगों के शरीर में ऑटोफागी नाम की सफाई प्रक्रिया शुरू हो जाती है। बेकार कोशिकाओं को शरीर अपने आप साफ करने लग जाता है। भूख और उपवास नई कोशिकाओं के निर्माण में बेहद फायदेमंद है। 
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उपवास का कैंसर असर 
इंसानों के साथ-साथ चूहों में भी मौत का सबसे बड़ा कारण कैंसर ही है। वैज्ञानिकों ने कैंसर से जूझ रहे चूहों के भी दो ग्रुप बनाए। एक को व्रत कराए, दूसरे को नहीं। जांच में पाया गया कि भूखे रहने वाले चूहों के शरीर में कैंसर कोशिकाएं धीमी गति से बढ़ीं। उपवास वाले चूहे 908 दिन जीवित रहे। उपवास से जीवन लंबा हो सकता है। डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो सकता है। लेकिन उपवास का बुढ़ापे पर कोई असर नहीं दिखा। वैज्ञानिकों के मुताबिक बुढ़ापे की परेशानियां एक प्राकृतिक प्रक्रिया हैं।


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