अजब-गजब- अपना जीवन खुशियों से भरना है तो करें इस पेड़ की सेवा

punjabkesari.in Tuesday, May 18, 2021 - 05:40 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Sacred fig: आपका मित्र वृक्ष हूं। मैं आपसे बहुत कुछ कहना चाहता हूं। यह एक कल्पना या किसी कविता का विषय नहीं है। वास्तव में मेरे पास भी एक संचार तंत्र है जिसके द्वारा मैं भी अपने संदेश प्रसारित कर सकता हूं। इस बात को तो कई पर्यावरण प्रेमी, वनस्पति विज्ञानी मान्यता दे चुके हैं। पेड़-पौधों के साथ आपका बहुत पुराना संबंध है। जब इस सृष्टि में मानव की रचना हुई थी, तब सर्वप्रथम उन्होंने मेरी ही शरण ली थी और मेरे घने जंगलों में खुद को अधिक सुरक्षित महसूस करते थे। इस वनस्पति में मेरी संख्या करोड़ों में है और मेरे भी अपने पारिवारिक समुदाय हैं। 

PunjabKesari Peepal tree

What is special about Peepal tree: कोई भी ऐसा धर्म नहीं है जिसमें प्रकृति के आधार माने-जाने वाले तत्व जैसे जलवायु, वृक्ष, पर्वत, नदियां, आकाश, धरती और अन्य जीवों के रक्षण-संरक्षण को महत्व न दिया गया हो। भारत में मेरी कई प्रजातियों को देवता माना जाता है। यहां पीपल और तुलसी के पेड़ में देवताओं का निवास माना जाता है और पूजा का प्रतीक माना जाता है। सभी वृक्षों की अपेक्षा ये दोनों पेड़ अधिक ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अत: स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो ये दोनों पेड़ बहुत लाभदायक हैं। 

दूषित वातावरण मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और वातावरण के दुष्प्रभाव को दूर करने की क्षमता पीपल में सबसे ज्यादा होती है। पीपल प्राणवायु यानी ऑक्सीजन का मुख्य स्रोत है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पीपल को सभी वृक्षों में से शुद्ध और पूजनीय माना जाता है और भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है और अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि पीपल वृक्ष की पूजा करने से सभी देवता पूजित हो जाते हैं। जैसे यह मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है। 

पीपल वृक्ष में सभी तीर्थों का निवास माना जाता है इसलिए ज्यादातर संस्कार इसके नीचे करवाए जाते हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार यह भी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शिव  की स्थापना करके नित्य नियम से पूजा आराधना करता है तो उसके समस्त दुख दूर हो जाते हैं। 

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Why is the Peepal tree important: पीपल वृक्ष से मिलने वाली ऊर्जा को देखते हुए संत महात्मा इसके नीचे तप और ज्ञान प्राप्त करते थे। महात्मा बुद्ध ने भी पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान प्राप्त कर जन्म-मृत्यु एवं संसार के रहस्य को जाना था। बौद्ध ग्रंथों में इसे बोधि वृक्ष के नाम से मानते हैं। देखा जाए तो पीपल एक ऐसा वृक्ष है जो कभी भी पत्तों से विहीन नहीं होता। इससे एक साथ पतझड़ नहीं होती, पत्ते झड़ते रहते हैं नए आते रहते हैं। इसी खूबी के कारण इसको अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है और जीवन-मृत्यु चक्र का द्योतक बताया जाता है। तभी तो भगवान श्री कृष्ण जी ने गीता के मूल श्लोक के माध्यम से स्वयं को वृक्षों में अश्वत्थ (पीपल) कहा है।

अश्वत्थ सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद। गंधर्वाणां चित्ररथ सिद्धानां कपिलो मुनि॥

यदि मनुष्य कुछ देर के लिए भी इसकी छाया में बैठता है तो शरीर के बहुत सारे वीजातिय तत्व निकलने, बहुत सारे रोगाणु समाप्त होने शुरू हो जाते हैं और बहुत तरह की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने लगती है। 

Importance of peepal tree: पीपल वृक्ष में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं। इस वृक्ष के पत्तों और तने में अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। यहां एक और संत, महात्मा, प्रकृति के रक्षक, सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन काल में लोगों को पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के लिए यह कह कर प्रेरित किया-‘पवन गुरु पानी पिता माता धरत महत’ और एक स्वास्थ्य प्रद वातावरण बनाए रखने के लिए लोगों को जागरूक किया। उनका किया हुआ यह प्रयास आज इस कोरोना महामारी, जिससे लोग ऑक्सीजन की कमी से मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, में सत्य सिद्ध हो रहा है। 

इसलिए प्रकृति की रक्षा के लिए बताना चाहता हूं कि यह सृष्टि, जिसकी रचना परमेश्वर ने पूरी मानव जाति के लिए की है, इसके प्रदूषित होने के कारण बीमार पडऩे वाली पृथ्वी को शुद्ध करने और बहुमूल्य जीवन को बचाने के लिए पुरजोर प्रयास करना चाहिए। पिछले कई सालों से वन पर्यवरण संरक्षण के प्रति जागरूकता में सुधार हुआ है लोगों की भागीदारी बढ़ी है लेकिन अभी इसमें और प्रयासों की जरूरत है।

धार्मिक आस्थाओं और आलौकिक मान्यताओं पर आधारित पीपल वृक्ष रोपण करने और समय पर इसको जल देने से जीवन खुशियों से भर जाता है और न ही कोई दुख सताता है। वृक्ष जैसे-जैसे बड़ा होगा उसका जीवन परिवार खुशहाल और फलता-फूलता जाएगा। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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