16 संस्कार क्या होते हैं ?

punjabkesari.in Wednesday, Dec 26, 2018 - 04:23 PM (IST)

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किसी भी व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के काल में माता-पिता, गुरुजन तथा पुत्र-पुत्री पर उनके सात्विक कामों के लिए वैदिक पद्धति से की जाने वाली विधियों को संस्कार कहते हैं। संस्कार शब्द का अर्थ है अच्छा करना, दोषों को दूर करना और उसे नया आकर्षक रूप देना। जिस क्रिया के योग से मनुष्य में अच्छे गुणों का विकास व दोषों का अंत होता है वह क्रिया है
संस्कार।
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सनातन संस्कृति की नींव संस्कारों पर ही आधारित है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने व्यक्ति को पवित्र करने के उद्देश्य से इन संस्कारों का निर्माण किया है। न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों को बहुत स्पैश्ल माना गया है। भारतीय संस्कृति को महान बनाने में इन संस्कारों का ही अहम योगदान रहा है। प्राचीनकाल में संस्कारों की संख्या चालीस के करीब थी। जैसे-जैसे अधुनिकता अपने पैर पसारती जा रही है, वैसे-वैसे इन संस्कारों की संख्या कम होकर 16 संस्कारों में बदल गई। गौतम स्मृति में चालीस प्रकार के संस्कार बताए गए हैं, फिर महर्षि अंगिरा ने इन्हें पच्चीस संस्कारों तक सिमित कर दिया। अंत में जब व्यास स्मृति आई तो सोलह संस्कारों तक सीमित होकर रह गई। आज की डेट में उन्हें फॉलो किया जाता है।
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कितने प्रकार के होते हैं संस्कार
सोलह संस्कारों का उल्लेख गृह्य सूत्र में मिलता है। यह सोलह संस्कार निम्नलिखित हैं- गर्भाधान संस्कार, पुंसवन संस्कार, सीमंतोन्नयन संस्कार, जातकर्म, नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, कर्णवेध संस्कार, उपनयन/यज्ञोपवीत संस्कार, वेदांरभ संस्कार, केशांत संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, अंत्येष्टि संस्कार।
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Niyati Bhandari

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