त्रेता और द्वापर युग में भी थे मंदिर?
punjabkesari.in Friday, Oct 09, 2020 - 06:11 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अगर वर्तमान की बात करें तो न केवल देश में बल्कि दुनिया के अन्य भी कई हिस्सों में सनातन धर्म से जुड़े मंदिर स्थापित है। इनमें लगभग हर मंदिर प्रसद्धि है, और इनकी प्रसिद्ध का कारण है इनसे संबंधित रहस्य व मान्यताएं। और अगर बात खास तौर पर भारत की करें, तो प्रत्येक मंदिर मंदिर के बारे में यही मान्यता प्रचलित होती है कि उसका निर्माण प्राचीन समय में हुआ था। जिसके बाद बहुत से लोगों के ज़हन में एक सवाल ये आता है क्या रामायण और महाभारत काल में मंदिर थे। अगर नहीं तो क्या वैदित ऋषि अपने आश्रम में ध्यान करते थे, क्या आम लोग घर में ही पूजा करते थे, क्या ब्रह्मनिष्ठ लोग पूजा अर्चना करते थे?
तो चलिए आपको आपकी इस बात का जवाब देते हैं, कि इस,के बारे में धआर्मिक शास्त्र क्या कहते हैं-
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार रामायण काल में जितने मंदिर थे, उसका प्रमाण है। जी हां, कहा जाता है कि श्री राम के त्रेता युग आज से लगभग 7129 वर्ष पहले था यानि करीबन 5114 ईस्वी पूर्व में। जिस दौरान श्री राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना की थी। जिस से ये बात साफ होती है कि शिवलिंग की पूजा की परंपरा इसी युग से शुरू हुई। इसके बाद इसमें देवी सीता द्वारा अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गौरी पूजन करना भी इस बात का सबूत है न केवल कलियुग में उस युग मे भी देवी-देवताओं की पूजा का अधिक महत्व था।
इसके बाद अगर महाभारत की बात करें दो घटनाओं ऐसी हैं जिसमें इस का सबूत मिलता है। कथाओं के अनुसार द्वापर युग में श्री कृष्ण के साथ रुक्मणि और अर्जुन के साथ सुभद्रा के भागने के समय दोनों ही नायिकाओं द्वारा देवी पूजा के लिए वन में स्थित गौरी माता (माता पार्वती) के मंदिर के बारे में वर्णन किया गया है। इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में ये भी उल्लेख मिलता है युद्ध की शुरुआत के पूर्व भी कृष्ण पांडवों के साथ गौरी माता के स्थल पर जाकर उनसे विजयी होने की प्रार्थना करते हैं।
बता दें देश में सबसे प्राचीन शक्तिपीठों और ज्योतिर्लिंगों को माना जाता है। कलियुग में इन सभी का केवल समय-समय पर जीर्णोद्धार किया गया। प्राचीनकाल में यक्ष, नाग, शिव, दुर्गा, भैरव, इंद्र और विष्णु की पूजा और प्रार्थना का प्रचलन था। बौद्ध और जैन काल के उत्थान के दौर में मंदिरों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा और इस काल में राम एवं कृष्ण के मंदिर भी बनाए जाने लगे।