क्या कारावास में लिखी गई थी हनुमान चालीसा? क्या है इससे जुड़ी रोचक कहानी?

punjabkesari.in Saturday, Jul 09, 2022 - 09:51 AM (IST)

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हिंदू धर्म के ज्योतिष व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शनिवार का दिन जहां एक तरह शनि देन की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। तो वहीं दूसरी इस दिन हनुमान जी की आराधना करनी भी लाभदायक होती है। ऐसा कहा जाता है शनिवार के दिन पवनपुत्र हनुमान जी की अर्चना करने से न केवल व्यक्ति के जीवन की समस्याएं कम होती हैं, बल्कि इनकी पूजा करने से जीवन पर आने वाले तमाम तरह के संकटों से बचाव होता है। इतना ही नहीं जिस किसी व्यक्ति पर किसी भूत प्रेत का साया आदि होता है उसको भी राहत मिलती है। बताया जाता है जहां एक तरफ इनका आशीष पाने के लिए विधि वत पूजा-अर्चना व उपाय आदि किए जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। बल्कि बहुत से लोग तो ऐसे भी हैं तो न केवल शनिवार व मंगलवार बल्कि नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। इन गिनती में आप भी शामिल होंगे। तो अगर आप भी रोज़ाना हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो आपके लिए आज हम इससे जुड़ी बेहद खास जानकारी लाएं हैं।

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जी हां, आज हम आपको बताने जा रहे हैं हनुमान चालीसा का कारागार से क्या संबंध है। जी आप सही पढ़ रहे हैं, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान चालीसा को कारागार में लिखा गया है। क्या आप इस संदर्भ मे जानकारी रखते हैं, अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर इसे किसने और कहां लिखा था-
 

प्रचलित किवदंतियों के अनुसार हनुमान चालीसा को इसे लिखने वाले को सम्राट अकबर ने जेल में डाल दिया था, उसके बाद बंदरों के उत्पात के बाद उन्हें रिहा करना पड़ा था। ऐसी मान्यता है कि हनुमान चालीसा के रचयिता तुलसीदास हैं। उन्होंने ही रामचरित मानस भी लिखी थी। लेकिन तुलसीदास जी ने किन हालातों में हनुमान चालीसा लिखी इससे जुड़ी एक रोचक कहानी है। आइए जानते है क्या है वो रोचक कहानी-

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कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी को हनुमान चालीसा लिखने की प्रेरणा मुगल सम्राट अकबर की कैद से मिली। किंवदंती है कि एक बार मुगल सम्राट अकबर ने गोस्वामी तुलसीदास जी को शाही दरबार में बुलाया। तब तुलसीदास की मुलाकात अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना और टोडरमल से हुई। उन्होंने काफी देर तक उनसे बातचीत की। वे अकबर की तारीफ में कुछ ग्रंथ लिखवाना चाहते थे। तुलसीदास जी ने मना कर दिया। तब अकबर ने उन्हें कैद कर लिया।

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किंवदंती के अनुसार, कारावास में ही तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में हनुमान चालीसा लिखी। उसी दौरान फतेहपुर सीकरी के कारागार के आसपास ढे़र सारे बंदर आ गए। उन्होंने बड़ा नुकसान किया। तब मंत्रियों की सलाह मानकर बादशाह अकबर ने तुलसीदास जी को कारागार से मुक्त कर दिया। भारत की सबसे प्रमाणिक हिन्दी आनलाइन एनक्लोपीडिया भारत कोष भी तुलसीदास को हनुमान चालीसा का लेखक मानती है।

 


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Content Writer

Jyoti

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