जानना चाहते हैं कि मृत्यु के बाद आपके पूर्वजों को मिली कौन सी गति तो ज़रूर पढ़ें ये
punjabkesari.in Tuesday, Sep 24, 2019 - 12:04 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पितृ पक्ष में पिंडदान, पितृ तर्पण व अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना अति आवश्यक है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हर व्यक्ति का मृत्यु के बद श्राद्ध करना ज़रूरी होता है। ऐसा कहा जाता है जिस व्यक्ति का उसके वंशजों द्वारा पिंडदान नहीं किया जाता तो उस व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में पिंडदान के बाद ही गति मिलती है। मगर किस स्थिति में किसको कौन से गति प्राप्त होती है इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको अपने इस आर्टकिल के माध्यम से गति से जुड़ी ही कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। तो अगर आप भी जानने के इच्छुक हैं कि आपके पूर्वजों को मृत्यु के बाद कौन सी गति मिली है तो आगे दी गई जानकारी को विस्तारपूर्वक पढ़े। शास्त्रों के अनुसार गति बहुत महत्वपूर्ण है। गति होती है ध्वनि कंपन और कर्म से। माना जाता है यह दोनों ही स्थिति चित्त का हिस्सा बनती है। कर्म, विचार और भावनाएं भी एक गति ही हैं, जिससे चित्त की वृत्तियां निर्मित होती हैं। इसके अलावा योग के मुताबिक चित्त की वृत्तियों से मुक्ति होकर स्थिर हो जाना ही मोक्ष है। लेकिन यह चित्त को स्थिर करना आम लोगों के बस की बात नहीं। ऐसे में वे जब देह छोड़ते हैं तो किस गति में जाते हैं आइए यह जानते हैं।
मरने के बाद आत्मा की तीन तरह की गतियां होती हैं-
1. उर्ध्व गति
2. स्थिर गति
3. अधोगति।
जिसे अगति और गति में विभाजित किया गया है।
अगति: शास्त्रों के अनुसार अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है।
अगति को आगे चार प्रकार में बताया गया है
1.क्षिणोदर्क
2.भूमोदर्क
3.अगति
4. दुर्गति।
क्षिणोदर्क: पुराणों के अनुसार क्षिणोदर्क अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्यु लोक में आकर संतों सा जीवन जीता है।
भूमोदर्क: भूमोदर्क में जीव सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन को प्राप्त होता है।
अगति: अगति में नीच या पशु जीवन में चला जाता है।
दुर्गति: दुर्गति के तो नाम से स्पष्ट होता कि इस गति में जीव को कीट, कीड़ों जैसा जीवन जीना पड़ता है।
गति: आख़िर में बारी आती है गति की। बताया जाता है गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है। इसके अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं-
1.ब्रह्मलोक
2.देवलोक
3.पितृलोक
4.नर्कलोक।
जीव अपने कर्मों के अनुसार उक्त लोकों में जाता है।
ब्रह्मलोक: हिंदू धर्म में ग्रंथों में किए वर्णन के अनुसार ब्रह्मलोक में केवल व्यक्ति पहुंचता है जिसने योग और ध्यान करके मोक्ष प्राप्त किया हो।
देवलोक: देवलोक में केवल पुण्यात्माएं ही पहुंचती हैं। जो कुछ काल यहां रहने के बाद पुन: मनुष्य योनि में जन्म लेती है।
पितृलोक: शास्त्रों के मुताबिक पितृलोक में भी केवल पुण्यात्मा ही पहुंचती हैं, यहां वह कुछ देर के लिए अपने पितरों के साथ सुखपूर्वक समय व्यतीत करके पुन: जन्म लेती हैं।
नर्कलोक: नर्कलोक के बारे में लगभग लोग जानते ही होंगे। बता दें कहा जाता है यहां केवल दुष्कर्मी आत्माएं ही पहुंचती हैं। इन्हें भी कुछ समय यहां रहने के बाद पुन: किसी भी योनि में जन्म लेना होता है।