देवोत्थान एकादशी: भगवान को जगाने के लिए करें इस मंत्र का जाप, करें उपाय

punjabkesari.in Monday, Oct 30, 2017 - 04:34 PM (IST)

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थान, प्रबोधिनी एवं देव उठानी एकादशी के नाम से प्रसिद्घ है तथा इस बार यह एकादशी 31 अक्तूबर को है। कहा जाता है कि जब भगवान जागते हैं तो वह अनेक प्रकार की क्रियाएं करने में प्रवृत हो जाते हैं और प्राणी मात्र का पालन पोषण और संरक्षण भी करते हैं। इसी दिन से भीष्म पंचक आरम्भ हो जाती हैं, जिस कारण विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते परंतु 4 नवंबर को पूर्णिमा तिथि में तुलसी विवाह करवाना शुभ है। 


जिन लोगों के कार्यों में किसी कारणवश कोई बाधा आती है तो वह श्रद्घाभावना से तुलसी विवाह करके उन विध्न बाधाओं को समाप्त करके पुण्य के भागी बन सकते हैं। जिस दम्पति के कन्या नहीं होती वह जीवन में एक बार तुलसी जी का शालीग्राम जी के साथ धूमधाम से विवाह करवाकर यदि कन्यादान करें तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन अन्य एकादशियों की भांति ही व्रत करने का संकल्प करके उपवास किया जाता है तथा भगवान विष्णु का लक्ष्मी जी सहित धूप, दीप, नैैवेद्य, फल और फूलों से पूजन करना चाहिए तथा भगवान को जगाने के लिए-


‘उतिष्ठ, उतिष्ठ, गोबिंद उतिष्ठ गरुडध्वज, त्वयो चोत्तिष्ठमानेन ,चोत्तिष्ठम् भुवनत्रयम्’  


मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। 

दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल डालकर श्री हरि का अभिषेक करें।

पीले रंग के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।

पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करके 3 परिक्रमा करें।

सूर्यास्त के बाद तुलसी पर तिल के तेल से दीपक करें।


वीना जोशी 
veenajoshi23@gmail.com


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