Vrischika Sankranti 2024: शुभ योग में मनाई जाएगी वृश्चिक संक्रांति जानें, शुभ मुहूर्त और तिथि
punjabkesari.in Tuesday, Nov 12, 2024 - 04:00 AM (IST)
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Vrischika Sankranti: हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य जब वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है तो वृश्चिक संक्रांति मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में संक्रांति के दिन को विशेष रूप से महत्व दिया जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य की गति में परिवर्तन होता है, जो खगोलीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। संक्रांति का दिन आधिकारिक रूप से नए ऊर्जा के प्रवाह का प्रतीक माना जाता है और इस दिन को शुभ माने जाने के कारण लोग इस दिन विशेष पूजा, व्रत और दान करते हैं।वृश्चिक राशि को शनि और मंगल ग्रहों का नियंत्रित किया हुआ माना जाता है। इसे तीव्रता, उत्साह, और गहरे बदलाव का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश करने से जीवन में बदलाव, नवीकरण और नए अवसरों के आगमन की संभावना होती है। सूर्य देव की पूजा करने से करियर और कारोबार में मनचाही तरक्की देखने को मिलती है। तो चलिए जानते हैं इस बार वृश्चिक संक्रांति कब मनाई जाएगी।
Sankranti Date वृश्चिक संक्रांति तिथि 2024
हिंदू धर्म में हर महीने संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार नवंबर माह में वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर को मनाई जाएगी। प्रत्येक वर्ष संक्रांति का समय भिन्न हो सकता है लेकिन यह हमेशा सूर्य के राशि परिवर्तन के समय ही मनाई जाती है। 2024 में वृश्चिक संक्रांति का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक शुभ योग में आएगी जो इसे और भी खास बनाती है।
Vrischika Sankranti Shubh Muhurat वृश्चिक संक्रांति शुभ मुहूर्त
पुण्य काल- सुबह 6 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक
महा पुण्य काल- सुबह 06 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 41 मिनट तक
इस दौरान पूजा-पाठ करने से दोगुना फल मिलता है।
Vrischika Sankranti Shubh Yog वृश्चिक संक्रांति शुभ योग
इस बार की वृश्चिक संक्रांति बेहद खास है क्योंकि इस दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं। वृश्चिक संक्रांति पर परिघ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण होगा। इसके अलावा इस दिन बहुत ही खास शिववास योग का निर्माण होगा। इस दौरान महादेव मां गौरी के साथ रात 11 बजकर 50 मिनट तक भक्तों पर अपनी खास कृपा बरसाएंगे।
What to do on Vrischika Sankranti वृश्चिक संक्रांति पर क्या करें ?
संक्रांति के दिन उबटन करके स्नान करना बहुत फलदायी माना जाता है। इसे आत्मशुद्धि और पापों का नाश होता है।
इस दिन विशेष रूप से दान देने का महत्व है। पुराने कपड़े, तिल, खिचड़ी, तेल, और पैसे दान में देना बहुत शुभ माना जाता है। इसे पुण्य बढ़ाने के साथ-साथ जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
तिल, तिल के लड्डू और तिल से बने अन्य पदार्थों का सेवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तिल को सूर्यदेव के पूजन का एक हिस्सा माना जाता है और इसे समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
वृश्चिक संक्रांति पर विशेष रूप से शिव पूजा करने से व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का समाधान हो सकता है। भगवान शिव की पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसे विशेष रूप से स्वास्थ्य में सुधार और जीवन में सुख के लिए किया जाता है।
इस दिन सूर्य के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की बुरे समय से मुक्ति मिल सकती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सूर्य के मंत्रों का जाप करने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।