विदुर जी से जानें किन लोगों से बचने में है भलाई?

punjabkesari.in Monday, May 16, 2022 - 12:28 PM (IST)

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हमारी वेबसाइट से न केवल हमने आपको अभी तक आचार्य चाणक्य से जुड़े जानकारी दी है बल्कि प्राचीन समय में हुए कई और नीतिकारों के बारे में हम आपको समय-समय पर जानकारी प्रदान करते रहते हैं। इस सूची में आगे भी हम महाभारत काल के नीतिकार महात्मा विदुर जी की कई नीतियों से अवगत करवा चुके हैं। इसी कड़ी में आज हम एक बार फिर आपके लिए लाएं महात्मा विदुर जी के नीति सूत्र में बताए गए ऐसे सूत्र में जिन्हें अपने जीवन में अपनाने वाले व्यक्ति का जीवन संवर जाता है। जी हां, आज के इस आर्टिकल में भी हम आपको बताने जा रहे हैं विदुर द्वारा बताए गई जानकारी की व्यक्ति को किन लोगों से बचकर रहना चाहिए वरना इंसान स्वयं अपनी बर्बादी का कारण बन जाता है। इसके अलावा जानें अन्य और ऐसी बातें जो प्रत्येक जातक के लिए फायेदमंद साबित हो सकती है। 
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महात्मा विदुर जी के नीति सूत्र में किए वर्णन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को लापरवाह व्यक्ति, आलस्य से भरा हुआ व्यक्ति, क्रोधित व्यक्ति, अैनितक कार्य करने वाले व्यक्ति, नशा करने वाले व्यक्ति, लोभी व्यक्ति, अधिक भयभीत रहने वाला तथा कामांधी व्यक्ति से जितना हो सके दूर रहना चाहिए। विदुर जी के अनुसार जिस व्यक्ति में उपरोक्त बताए गए किसी भी अवगुण में से एक भी अवगुण हो उससे दूर रहना अच्छा होता है। क्योंकि ऐसे व्यक्ति न तो खुद जीवन में आगे बढ़ते हैं न ही किसी और को बढ़ने देते हैं। बल्कि इनके साथ रहने वाले व्यक्ति विनाश की ओर अगसर हो जाता है। इसलिए सफल होने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को इनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। 

विदुर जी के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति की पहचान करना बेहद जरूरी होता है। परंतु पहचान कर पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता। बता दें विदुर नीति में किए उल्लेख के मुताबिक जो व्यक्ति व्यर्थ की बातें नहीं करता, जो अपने द्वारा किए हर कार्य को पूर्ण रूप से संपन्न करता है, जो हर किसी की बात को धैर्य से सुनता है, हर समय कुछ नया सीखने के प्रयास में रहता है, जो अपने स्वर्थ के लिए कोई गलत काम नहीं करता, ऐसा व्यक्ति ज्ञानी माना जाता है। जिनसे किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता बल्कि इनके साथ रहने वाला व्यक्ति भी जीवन में सफलता को प्राप्त करता है। 
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महाभारत काल के महात्मा विदुर जी ने अपने नीति ग्रंथ में कहा है परिश्रम और नीतिगत ढंग से अर्जित किए हुए धन के दो दुरुपयोग हैं, पहला कुपात्र अर्थात धन को उसे दे देना जिसे आवश्यकता न हो, और दूसरा सुपात्र धन को उसे न देना जिसे उसकी बेहद आवश्यकता हो। 

विदुर नीति में महात्मा विदुर दो व्यक्तियों के बारे में बताते हैं, जिनका स्थान स्वर्ग से भी ऊपर होता है। विदुर नीति के अनुसार जिस व्यक्ति में शक्तिशाली होते हुए भी क्षमा करने का गुण हो और जो निर्धन होते हुए भी दान दे। ऐसे व्यक्तियों का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर माना जाता है। 

इन सबके अतिरिक्त विदुर नीति में विदुर जी ने आठ ऐसे गुणों के बारे में बताया है, जिसमें ये गुण होते हैं वह हमेशा समाज में प्रशंसा का पात्र कहलाता है। विदुर नीति के अनुसार इस प्रकार है ये गुण बुद्धि, शिष्टता, मृदु भाषी, ज्ञान, वीरता, कम बोलने वाला, दूसरे के उपकार के याद रखने वाला, दान करने वाला।
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Content Writer

Jyoti

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