Varuthini ekadashi 2021: अर्जुन के कहने पर श्री कृष्ण ने बताया था इस व्रत का महत्व

punjabkesari.in Thursday, May 06, 2021 - 04:00 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सबसे पहले अर्जुन ने किया था ये एकादशी व्रतमहाभारत के समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया तथा उसे ऐसे बहुत सी बातें बताई गई जो न केवल उस समय में बल्कि आज के दौर में भी अति लाभदायी मानी जाती है। तो वहीं उन्होंने अर्जुन ने ऐसे कई व्रत आदि के बारे में बताया जिनसे किसी भी व्यक्ति को लाभ प्राप्त हो सकता है। इन्हीं में से एक है वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पढ़ने वाला वरूथिनी एकादशी का पर्व। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का महत्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था। 

प्राचीन काल में रेवा नदी (नर्मदा नदी) के तट पर अत्यंत दानशील और तपस्वी मान्धाता नामक राजा का राज्य था। एक समय की बात है जब राजा जंगल में तपस्या कर रहा था, उस समय एक जंगली भालू ने आकर  उसका पैर चबाने लगाने और राजा को घसीट कर वन में ले गया। ऐसे में राजा घबराया जरूर पर तपस्या धर्म का पालन करते हुए बिल्कुल भी क्रोधित नहीं हुआ, और भगवान विष्णु की प्रार्थना करने लगा। 

उस तपस्वी राजा का प्रार्थना सुनकार श्री हरि स्वयं वहां प्रकट हुए और अपने सुदर्शन चक्र से भालू का वध कर दिया। परंतु जब विष्णु भगवान वहां पहुंचे तब तक भालू राजा का एक पैर खा चुका था। इससे राजा मान्धाता अत्यंत दुखी हो गए। तब श्री हरि ने राजा की पीड़ा और दुख को दूर करने के लिए उनसे कहा कि तुम पावन नगरी मथुरा जाकर मेरे वाराह अवतार के विग्रह की पूजा और वरूथिनी एकादशी का व्रत करो, तुम्हारी हर पीड़ा दूर हो जाएगाी। इस व्रत के प्रभाव से भालू ने तुम्हारा जो पैर काटा है, वह ठीक हो जाएगा। असल में तुम्हारे इस पैर की यह दशा पूर्वजन्म के अपराध के कारण हुई है। 

कथाओं के मुताबिक भगवान श्री हरि विष्णु की आज्ञा मानकर राजा पवित्र पावन नगरी मथुरा पहुंच गए और पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ इस व्रत को किया जिसके परिणाम स्वरूप उनका खोया हुआ पैर उन्हें पुन: प्राप्त हो गया। 


 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News