Valmiki Jayanti 2020: किसकी संतान थे महर्षि वाल्मीकि, क्यों कहलाए वाल्मीकि

punjabkesari.in Friday, Oct 30, 2020 - 04:50 PM (IST)

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इस साल की तारीख 31 अक्टूबर को कई पर्व मनाए जाएंगे, जिनमें से एक है वाल्मीकि जयंती। धार्मिक मान्यताओं व कथाओं के अनुसार इस दिन को महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। सनातन धर्म में इन्हें रामायण के रचियता के तौर पर जाना जाना जाता है, जिन्होंने संस्कृत भाषा में रामायण लिखी थी। बता दें प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को वाल्मीकि जंयती मनाई जाती है। वैसे कह जाता है कि महर्षि वाल्मीकि के जन्म को लेकर विभिन्न तथ्य पढ़ने-सुनने को मिलते हैं। परंतु इनके जन्म से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा की बात करें तो इनका जन्म महर्षि कश्यम और देवी अदिति के 9वें पुत्र वरुण और उनकी धर्म पत्नी चर्षिणी के घर में हुआ था। प्रचलित मान्यताओं की मानें तो वाल्मीकि जी ने ही प्रथम श्लोक की रचना की थी। 
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ऐसी कथा है कि एक बार जब महर्षि वाल्मीकि ध्यान में मग्न थे, तब उनके शरीर में दीमक चढ़ गई थी। परंतु वो अपने ध्यान में पूरी तरह से लीन थे, जिस कारण उन्हें दीमक का पता तक नहीं चला। ध्यान पूरा करने के बाद उन्होंने दीमक साफ की। कहा जाता है दीमक के घर को वाल्मीकि कहा जाता है। ऐसी कथाएं हैं कि इस कारण उन्हें वाल्मीकि के नाम से जाना जाता है। 

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आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं वाल्मीकि जयंती का इतिहास- 
कथाओं के अनुसार जब श्री राम ने अपने राज्य वालों की बातों से परेशान होकर माता सीता का त्याग कर दिया था, तब देवी सीता वाल्मीकि जी के आश्रम में ही रहे थे, तथा यही लव कुश को जन्म दिया था। कुछ कथाओं के अनुसार वाल्मीकि जी को रत्नाकर के नाम से भी जाना जाता है। इनके बचपन से जुड़ी एक कथा के अनुसार एक भीलनी ने उनको चुरा लिया जिस कारण इनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ था। 

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आगे चलकर इन्हें देवर्षि नारद जी ने राम नाम का जाप करने की सलाह दी। जिसके बाद में वो प्रभु में मग्न हो एक तपस्वी के रूप में रहकर ध्यान करने लगे। कहा जाता है कि इनकी इसी तपस्या से प्रसन्न होकर बह्मा जी नेउन्हें ज्ञान दिया जिसके परिणाम स्वरूप इन्होंने रामायण लिखी थी। 


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Jyoti

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