Tulsi Vivah: कन्यादान के समान फल पाने के लिए करें ये उपाय
punjabkesari.in Saturday, Nov 09, 2024 - 03:39 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Tulsi Vivah 2024: देवउठनी एकादशी के बाद मनाया जाने वाला मांगलिक तुलसी विवाह पर्व है। भगवान विष्णु जब जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभ तुलसी की ही सुनते हैं इसलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। तुलसी विवाह के अनेक मत हैं परंतु कार्तिक शुक्ल नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक तुलसी पूजन कर तुलसी विवाह किया जाता है। पौराणिक मतानुसार कालांतर में दैत्य जालंधर ने चारों तरफ बड़ा उत्पात मचाया था।
Tulsi Vivah Story: जालंधर की वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। जालंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण ने श्रीहरि से साहयता मांगी। इस पर विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने हेतु जालंधर का रूप रचकर वृंदा का सतीत्व नष्ट किया, जिससे जालंधर मारा गया। क्रोधित वृंदा ने हरि को शाप दिया, जिससे विष्णु को राम के रूप में जन्म लेना पड़ा। श्रीहरी तुलसी को सदैव अपने साथ रखते हैं। बिना तुलसी के शालिग्राम या विष्णु पूजन अधूरा माना जाता है। शालिग्राम व तुलसी का विवाह विष्णु व महालक्ष्मी के विवाह का प्रतीकात्मक विवाह है। इस दिन तुलसी व विष्णु के विशेष पूजन से सभी दांपत्य दोष दूर होते हैं, व्यक्ति को कन्यादान के समान फल मिलता है, शारीरिक पीड़ा दूर होती है तथा मांगलिक दोष समाप्त होता है।
Puja method of tulsi marriage तुलसी विवाह की पूजा विधि: पूर्वमुखी होकर तुलसी व श्री विष्णु पूजन करें। गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, गोपी चंदन चढ़ाएं, लाल व पीले फूल चढ़ाएं। मीठे रोट का भोग लगाएं तथा किसी माला से इन विशेष मंत्रों का 1-1 माला जाप करें।
Tulsi Vivah Puja Mantra तुलसी विवाह पूजा मंत्र: देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चि-तासि मुनीश्वरैः नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये॥
Do these measures on Tulsi marriage तुलसी विवाह पर करें ये उपाय
दांपत्य कलह निवारण हेतु श्रीहरि पर चढ़े तुलसी पत्र बेडरूम में छुपाकर रखें।
पारिवारिक सौभाग्य हेतु तुलसी पर साबूदाने की खीर किसी कन्या को खिलाएं।
मांगलिक दोष के प्रभाव कम करने हेतु तुलसी-शालिग्राम का गठबंधन करवाएं।