इस मंदिर में आज भी मौजूद हैं शिव-पार्वती के विवाह की निशानियां

punjabkesari.in Sunday, Nov 24, 2019 - 02:54 PM (IST)

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हमारे भारत देश में ऐसे बहुत से मंदिर स्थापित हैं, जो अपने आप में ही बहुत प्राचीन है। वहीं भगवान शिव के तो बहुत मंदिर आप लोगों ने सुने होंगे। लेकिन भगवान शिव व माता पार्वती के मंदिर के बारे में क्या कोई जानता है? तो चलिए आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां माता पार्वती का विवाह भोलेनाथ के साथ हुआ था और आज भी यहां इनकी शादी की निशानियां यहां मौजूद हैं। कहते हैं कि यहां शादी करने वाले जोड़े की जिंदगी संवर जाती है। 
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ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में त्रियुगी नारायण के नाम से स्थित है। भगवान व‌िष्‍णु और देवी लक्ष्मी के इस मंदिर को श‌िव पार्वती के व‌िवाह स्थल के रूप में जाना जाता है। इस विवाह में भगवान विष्णु ने पार्वती के भाई की भूमिका निभाते हुए उन सभी रीत‌ियों को न‌िभाया, जो एक भाई अपनी बहन के व‌िवाह में करता है। कहते हैं इसी कुंड में स्नान करके भगवान व‌िष्‍णु ने व‌िवाह संस्कार में भाग ल‌िया था।
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बता दें कि श‌िव पार्वती के व‌िवाह में ब्रह्माजी पुरोह‌ित बने थे। वहीं भगवान श‌िव को व‌िवाह में उपहार स्वरूप एक गाय म‌िली थी और वहां स्थापित एक स्तंभ पर उस गाय को बाधा गया था। बता दें कि वे स्तंभ आज भी उसी जगह पर स्थित है। 
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व‌िवाह में शाम‌िल होने पहले ब्रह्माजी ने ज‌िस कुंड में स्‍नान क‌िया था वह ब्रह्मकुंड यह है। तीर्थयात्री कुंड में स्नान करके ब्रह्माजी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। त्रियुगी नारायण मंद‌िर की अखंड धुन‌ी के चारों ओर भगवान श‌िव ने पार्वती के संग फेरे ल‌िए थे और आज भी इस कुंड में अग्न‌ि को जीव‌ित रखा गया है। संतान प्राप्ति के लिए इस अग्नि का आशीर्वाद लेने के लिए देश के हर हिस्से से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान केदारनाथ की यात्रा से पहले यहां दर्शन करने से ही प्रभु प्रसन्न होते हैं।


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