Kundli Tv- हनुमान जी का ये राज़, क्या जानते हैं आप
punjabkesari.in Monday, Jul 23, 2018 - 09:54 AM (IST)
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एक बार संसार से जल तत्व अदृश्य हो गया था। पूरे जगत में त्राहि-त्राहि मच गई थी। तब ब्रहमा जी, श्री हरि और सब देवगण साथ मिलकर भगवान भोलेनाथ की शरण में गए। सब ने मिलकर प्रार्थना की कि प्रभु अब आप ही इस समस्या का समाधान करें। कृपा करके श्रृष्टि में पुन: जल तत्व को ले आइए।
तभी भगवान शिव ने 11 रुद्रों को बुलाकर पूछा कि,"आप में से कोई ऐसा है जो सृष्टि को पुनः जल तत्व प्रदान कर सके।"
10 रूद्रों ने उसी समय इनकार कर दिया, किंतू 11 वां रुद्र जिसका नाम हर था, उसने कहा, "मेरे करतल में जल तत्व का पूर्ण निवास है। मैं श्रृष्टि को पुन: जल तत्व प्रदान करूंगा लेकिन इसके लिए मूझे अपना शरीर गलाना पड़ेगा और इसके बाद इस संसार से मेरा नामो निशान मिट जाएगा।"
भोलेनाथ ने उसे वरदान दिया और कहा, "इस शरीर के गलने के बाद तुम्हें नया नाम और शरीर प्राप्त होगा। तुम्हारे उस नए तन-मन में मैं आप निवास करूंगा जोकि श्रृष्टि के कल्याण के लिए होगा।"
उस रूद्र ने अपने शरीर को गलाकर संसार को जल तत्व प्रदान किया। उसी जल से एक महाबली वानर की उत्पत्ति हुई। जिसका नाम भगवान शिव ने हनुमान रखा। यह घटना सतयुग के चौथे चरण में घटी थी। भोलेनाथ ने हनुमान जी को राम नाम का रस प्रदान किया। तभी से उन्होंने राम नाम का जप प्रारम्भ कर दिया। त्रेतायुग में अन्जना और केसरी के यहां उन्होंने पुत्र रूप में जन्म लिया।
इसलिए तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में कहा है-
शंकर स्वयं केशरी नन्दन
तेज प्रताप महा जग बन्दन
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