शाही ठाठ-बाठ से जीवन जीते हैं एेसे लोग

punjabkesari.in Thursday, May 17, 2018 - 06:33 AM (IST)

कौटिल्य आचार्य चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी उतनी ही प्रसिद्ध है जितनी उस समय में थी। जो व्यक्ति इनकी नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में स्त्री पुरुष दोनों के लिए कई उपयोगी नीतियां बताई हैं। ये नीतियां आज भी कई बातों का सटीक जवाब है। आईए जानतें हैं कुछ नीतियों के बारे में-


श्लोक-
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति।।
अर्थात- जो व्यक्ति किसी मूर्ख शिष्य को उपदेश देता है, चरित्रहीन स्त्री का पालन-पोषण करता है और किसी दुखी व्यक्ति के साथ रहता है, एेसे व्यक्ति को अपने जीवन में अधिक दुख प्राप्त होते हैं।
 

श्लोक-
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायक:।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशय:।।
अर्थात- इस श्लोक द्वारा आचार्य चाणक्य ने बताना चाहा है कि दुष्ट स्वभाव, सदैव कठोर वचन बोलने वाली और चरित्रहीन स्त्री का त्याग कर देना चाहिए। साथ ही किसी नीच व्यक्ति से भी किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखना चाहिए। जो नौकर अपने मालिक का आदेश नहीं मानता हो उसे कार्य से मुक्त कर देना चाहिए और जिस घर के आसपास सांप रहते हों वहां नहीं रहना चाहिए। जो व्यक्ति इन बातों का पालन नहीं करता है उसे मृत्यु के समान कष्ट भोगने पड़ते हैं।


श्लोक-
आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेद्धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि।।
अर्थात- इस श्लोक के अनुसार घर के श्रेष्ठ पुरुष को आपत्ति काल के लिए धन बचाकर रखना चाहिए। धन से भी अधिक अपनी पत्नी की रक्षा करनी चाहिए और पत्नी से भी ज्यादा स्वयं की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि पति सुरक्षित रहेगा तभी उसका परिवार सुरक्षित रहेगा।
 

श्लोक-
यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी।
विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।
अर्थात- आचार्य कहते हैं कि किसी पुरुष का पुत्र आज्ञाकारी हो और पत्नी वश में हो तथा धन की कोई कमी न हो तो उसका जीवन किसी स्वर्ग के समान ही है।


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Jyoti

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