जया एकादशी पर करें ये उपाय, नहीं लेना पड़ेगा पिशाच योनि में जन्म

punjabkesari.in Friday, Jan 26, 2018 - 02:16 PM (IST)

एकादशी के दिन भगवान विष्णु एवं देवी एकादशी की पूजा करने का विधान है। भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक श्रद्धालु अपने तन और मन की शक्ति के अनुसार व्रत करता है जैसे निर्जल-निराहार, फलाहार, अन्न रहित सात्विक भोजन के साथ आदि। युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से जया एकादशी का वृतांत बताने की प्रार्थना की तो श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी का महत्व बताते हुए बताया था की इस व्रत के प्रभाव से व्रतधारी ब्रह्म हत्यादि पापों से मुक्ति पाकर मोक्ष को प्राप्त करता है। सारा दिन व्रत रखने के उपरांत जागरण करें। रात्रि में व्रत करना संभव न हो तो फलाहार करें। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद उचित दान दक्षिणा देकर विदा करें फिर स्वयं भोजन ग्रहण करें। धर्म शास्त्रों के अनुसार जो जया एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें पिशाच योनि में जन्म नहीं लेना पड़ता।


भगवान श्री विष्णु का विशेष पूजन करके आप मरणोपरांत भूत-प्रेत की योनि से मुक्ति पा सकते हैं- 

भगवान विष्णु को पीले फूल समर्पित करें।

घी में हल्दी मिलाकर भगवान पदम पर दीपक करें। 

जनेऊ पर केसर लगाकर भगवान पदम को समर्पित करें।

केले का भोग लगाएं। 

पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान को चढ़ाएं।

एकादशी की शाम को तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक जलाएं।
 
एकादशी माता की आरती करें-
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी...॥
 
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी...॥


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