वास्तुशास्त्र के कारण ताजमहल को मिली इतनी प्रसिद्धि

punjabkesari.in Tuesday, Apr 03, 2018 - 04:25 PM (IST)

हर जगह की प्रसिद्धि व अप्रसिद्धि का एक कारण वहां का वास्तु भी होता है। आज हम आपको एेसी ही एक जगह के बार में बताने जा रहें हैं, जिसको वास्तु के कारण अधिक प्रसिद्ध प्राप्त हुई।मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया। इसको बनाने में भारतीय, फारसी और इस्लामिक स्टाइल का प्रयोग किया गया है, जो कि मुगल वास्तुशास्त्र का सुंदर उदाहरण है। ताजमहल की विश्व प्रसिद्धि का कारण इसकी सुंदर बनावट तो है ही, साथ ही साथ इसका वास्तु अनुसार निर्माण भी है।
दिशाओं के अनुसार बनाई गई अष्टभुजाओं वाला ताजमहल वास्तुशास्त्र का एक सुंदर नमूना है। 


ताजमहल वास्तुशास्त्र और फेंगशुई के सिद्धांतों के है अनुरूप 


वास्तुशास्त्र की दृष्टि से
ताजमहल की पिछली दीवार यमुना नदी के तट पर जाकर ठहरती है। ताजमहल की उत्तर दिशा में यमुना नदी पूर्व दिशा की ओर बह रही है। वास्तु सिद्धांत के अनुसार, यह भौगोलिक स्थिति ताजमहल को प्रसिद्धि दिलाने में सहायक है। जब किसी इमारत के उत्तर में कोई हिस्सा नीचे की तरफ हो, साथ ही वहां पानी का स्रोत हो तो वह स्थान अवश्य प्रसिद्धि पाता है।


ताजमहल एक बड़े चौकोर प्लेटफार्म पर बना है, जिसके चारों कोनों पर 162.5 फीट ऊंचाई की मीनार बनी है और बीच में 1 ऊंचा विशाल गुम्बद बना हुआ है। ताज परिसर में बने इस प्लेटफार्म के पास पूर्व दिशा का थोड़ा भाग पश्चिम दिशा की तुलना में लगभग 4-5 फीट नीचा है। ये स्थिति भी वास्तु के अनुसार स्थायित्व प्रदान करती है।


ताजमहल की बनावट संतुलित है।,इसमें दो तल हैं। तहखाने में मुमताज और शाहजहां की कब्र है और इसी की प्रतिकृति को ऊपर वाले हॉल में लगाया गया है। ताजमहल परिसर के मध्य उत्तर दिशा में बना यह तहखाना इसकी प्रसिद्धि को बढ़ाने में और अधिक सहायक है।


दक्षिण दिशा में बना स्थित ताजमहल का मुख्य प्रवेशद्वार वास्तु के अनुसार है, जो कि पार्यटकों को अपनी ओर अधिक से अधिक आकर्षित करता है।

 

फेंगशुई की दृष्टि से
फेंगशुई का एक सिद्धांत है कि यदि पहाड़ के मध्य में कोई भवन बना हो, उसके पीछे पहाड़ की ऊंचाई हो, आगे की तरफ पहाड़ की ढलान हो और ढलान के बाद पानी का झरना, कुण्ड, तालाब या नदी हो तो ऐसा भवन प्रसिद्धि पाता है और सदियों तक बना रहता है। ताजमहज इसी तरह बना हुआ है।


ताज के मुख्य मकबरे की आकृति अष्टकोणीय है। फेंगशुई में अष्टकोणीय आकृति को अत्यधिक शुभ माना जाता है


फेंगशुई में संतुलित बनावट को बहुत महत्व दिया जाता है और ताज की बनावट भी पूर्णतः संतुलित है। ताज के सामने दक्षिण दिशा में बने बगीचे और फव्वारे इसकी शुभता को और अधिक बढ़ाते हैं।
 


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Jyoti

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