Swami Vivekananda story: सिद्धि या सेवा? स्वामी विवेकानंद से जानिए जीवन की सच्ची सार्थकता

punjabkesari.in Friday, Jun 13, 2025 - 07:01 AM (IST)

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Swami Vivekananda story: एक बार की बात है, स्वामी विवेकानंद कहीं जा रहे थे। रास्ते में नदी पड़ी तो वह वहीं रुक गए, क्योंकि नदी पार कराने वाली नाव कहीं गई थी। स्वामी जी बैठकर राह देखने लगे कि उधर से नाव लौटे तो नदी पार की जाए। अचानक वहां एक महात्मा भी आ पहुंचे। स्वामी जी ने महात्मा जी को देखा तो अपना परिचय देते हुए उनसे उनका परिचय लिया। बातों ही बातों में महात्मा जी को पता चला कि विवेकानंद नदी किनारे बैठकर नाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

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महात्मा जी बोले, “अगर ऐसी छोटी-मोटी बाधाओं को देखकर रुक जाओगे तो दुनिया में कैसे चलोगे? क्या तुम यह जरा सी नदी नहीं पार कर सकते?

मुझे देखो, मैं दिखाता हूं कि नदी कैसे पार की जाती है।” महात्मा जी खड़े हुए और पानी की सतह पर तैरते हुए लंबा चक्कर लगाकर वापस स्वामी जी के पास आ खड़े हुए। स्वामी जी ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, “महात्मा जी, यह सिद्धि आपने कहां और कैसे पाई?”

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महात्मा जी मुस्कराए और बड़े गर्व से बोले, “यह सिद्धि ऐसे ही नहीं मिल गई। इसके लिए मुझे हिमालय की गुफाओं में 30 साल तपस्या करनी पड़ी।”

महात्मा की इन बातों को सुनकर स्वामी जी मुस्करा कर बोले,  “पके इस चमत्कार से मैं आश्चर्यचकित तो हूं, लेकिन नदी पार करने जैसा काम, जो महज दो पैसे में हो सकता है, उसके लिए आपने अपनी जिंदगी के 30 साल बर्बाद कर दिए। इतने साल अगर आप मानव कल्याण के किसी कार्य में लगाते या कोई दवा खोजने में लगाते, जिससे लोगों को रोग से मुक्ति मिलती तो आपका जीवन सचमुच सार्थक हो जाता।”

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Content Editor

Sarita Thapa

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