Swami Ram Tirth Story: ढलती उम्र में जिंदगी के जज्बे को दें नया मुकाम

punjabkesari.in Saturday, Jun 24, 2023 - 08:33 AM (IST)

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Swami Ram Tirth Story: स्वामी रामतीर्थ विदेश यात्रा पर निकले थे। जिस जहाज से वह यात्रा कर रहे थे उसी में एक 90 वर्षीय जर्मन से उनकी मुलाकात हुई। वह बुजुर्ग चीनी भाषा सीख रहे थे।

इस उम्र में उन्हें एक नई भाषा सीखते देख स्वामी रामतीर्थ को बेहद आश्चर्य हुआ। चीनी एक कठिन भाषा मानी जाती थी।

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साधारण चीनी भाषा सीखने के लिए भी कम से कम 5000 चित्रों का ज्ञान होना जरूरी होता है और भाषा में दक्षता के लिए तो एक लाख चित्रों का ज्ञान। इसमें दक्षता हासिल करने के लिए कई साल लग जाते हैं।

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 स्वामी जी आश्चर्य से भर गए और उस जर्मन से पूछा, ‘‘आप इस उम्र में चीनी भाषा सीखकर क्या करेंगे, इस उम्र में यह आपके किस काम आएगी ? क्योंकि मौत आपके द्वार पर खड़ी है। ऐसे में आपका यह चीनी भाषा का ज्ञान बेकार चला जाएगा।’’

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वृद्ध जर्मन ने रामतीर्थ से कहा, ‘‘मौत तो जन्म के साथ ही द्वार पर खड़ी हो जाती है। रही बात उम्र की, तो मैं जिन्दगी भर सीखने और काम करने में इतना व्यस्त रहा कि मुझे अपनी बढ़ती उम्र का पता ही नहीं चला।

वैसे तो परिचित लोग मुझे 90 वर्ष से ऊपर का बताते हैं, लेकिन मैं तो अभी बच्चा हूं और बच्चे का मुख्य काम केवल सीखना और काम करना होता है और मैं वही कर रहा हूं।’’

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बुजुर्ग की सीखने की गहरी लगन से स्वामी जी बहुत प्रभावित हुए। भारत लौटने पर उन्होंने अपने शिष्यों को इसके बारे में बताया और कहा कि हर इंसान को जीवन भर कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। सीखने का उम्र से कोई संबंध नहीं है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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