भगवान विष्णु को भूल जाने वाले कहलाते हैं अंधे नायक

punjabkesari.in Sunday, Jul 26, 2020 - 07:05 PM (IST)

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श्रीमद्भगवद्गीता 
यथारूप 
व्याख्याकार : 
स्वामी प्रभुपाद 
अध्याय 1
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता 
श्लोक- 

दोषैरेतै: कुलघ्रानां वर्णसङ्कïरकारकै:।
उत्साद्यन्ते जातिधर्मा: कुलधर्माश्च शाश्वता:॥

अनुवाद : जो लोग कुल परम्परा को विनष्ट करते हैं और इस तरह अवांछित संतानों को जन्म देते हैं उनके दुष्कर्मों से समस्त प्रकार की सामुदायिक योजनाएं तथा पारिवारिक कल्याण-कार्य विनष्ट हो जाते हैं।

तात्पर्य : सनातन धर्म या वर्णाश्रम धर्म द्वारा निर्धारित मानव समाज के चारों वर्णों के लिए सामुदायिक योजनाएं तथा पारिवारिक कल्याण कार्य इसलिए नियोजित हैं कि मनुष्य चरम मोक्ष प्राप्त कर सके। अत: समाज के अनुत्तरदायी नायकों द्वारा सनातन धर्म परम्परा के विखंडन से उस समाज में अव्यवस्था फैलती है, फलस्वरूप लोग जीवन के उद्देश्य विष्णु को भूल जाते हैं। ऐसे नायक अंधे कहलाते हैं और जो लोग इनका अनुगमन करते हैं वे निश्चय ही कुव्यवस्था की ओर अग्रसर होते हैं।      (क्रमश:)


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Jyoti

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