स्वामी प्रभुपाद: परम गंतव्य की प्राप्ति

punjabkesari.in Sunday, Nov 10, 2024 - 06:00 AM (IST)

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प्रयत्नाद्यतमानस्तु योगी संशुद्धकिल्बिष:
अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो याति परां गतिम्।

PunjabKesari Swami Prabhupada

अनुवाद एवं तात्पर्य : और जब योगी समस्त कल्मष से शुद्ध होकर सच्ची निष्ठा से आगे प्रगति करने का प्रयास करता है तो अंततोगत्वा अनेकानेक जन्मों के अभ्यास के पश्चात सिद्धि लाभ करके वह परम गंतव्य को प्राप्त करता है।

सदाचारी, धनवान या पवित्र कुल में उत्पन्न पुरुष योगाभ्यास के अनुकूल परिस्थिति से सचेष्ट हो जाता है। अत: वह दृढ़ संकल्प करके अपने अधूरे कार्य को करने में लग जाता है और इस प्रकार वह अपने को समस्त भौतिक कल्मष से शुद्ध कर लेता है।

समस्त कल्मष से युक्त होने पर उसे परम सिद्धि कृष्णभावनामृत प्राप्त होती है। कृष्णभावनामृत ही समस्त कल्मष से मुक्त होने की पूर्ण अवस्था है।     

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Content Editor

Prachi Sharma

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