Surya Grahan: 4202 ई.पू. में सूर्य ग्रहण को ऋग्वेद में किया था दर्ज
punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 10:31 AM (IST)
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नई दिल्ली (विशेष) : 22 अक्तूबर 4202 ई.पू. एक सूर्य ग्रहण पड़ा था, जिसे महर्षि अत्रि ने ऋग्वेद में दर्ज किया है। दुनिया में सबसे पहली बार महर्षि अत्रि ने ही इसे दर्ज किया था।
जरनल ऑफ एस्ट्रोनॉमिकल हिस्ट्री एंड हेरिटेज में प्रकाशित शोधपत्र में यह निष्कर्ष दिया गया है। हालांकि इस ग्रहण के 19 अक्तूबर 3811 ईसा पूर्व होने की संभावना व्यक्त की गई है। मगर ये दोनों ही तिथियां अब तक उपलब्ध प्राचीन विवरण से ढाई हजार साल ज्यादा पुरानी हैं। अब तक सूर्य ग्रहण का सबसे पुराना विवरण उगरीत (सीरिया) में मिली मिट्टी पट्टिका को माना जाता था, जो कि 3 मई 1375 ई.पू. या 5 मार्च 1223 ई.पू. का हो सकता है।
ऋग्वेद के पांचवें के 40वें सूक्त में मंडल विवरण
सूर्य ग्रहण का यह विवरण ऋग्वेद के पांचवें मंडल के चालीसवें सूक्त के 5 से लेकर 9वें श्लोक तक है। इसके ऋषि अत्रि हैं और देवता इंद्र हैं। विवरण संकेतों में हैं। यहां कहा गया है कि सूर्य को स्वार्भानु असुर ने अंधेरे से बींध दिया है। इसमें सूर्य ग्रहण के लिए राहू और केतु को कारण नहीं बताया गया है। जाहिर है यह कथा काफी बाद में आई।
मृगशिरा नक्षत्र से निकाला समय
शोधकर्ता टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के मयंक वहिया और नेशन एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्बेटरी ऑफ जापान के मित्सुरा सोमा ने इस ग्रहण की काल गणना श्लोकों में वर्णित मृगशिरा नक्षत्र की ओर पृथ्वी के वर्नल इक्विनोक्स (वसंत विषुव) की दिशा से की है। इस समय वसंत विषुव मीन राशि की तरफ है, जबकि 4500 ई.पू. से 3800 ई.पू. में यह मृगशिरा की ओर था। 2020 ई.पू. तक यह प्लीडिएस तारामंडल की ओर रहा।