भगवान श्री कृष्ण कर्मयोग के रास्ते पर जाने की सलाह देते हैं, आप जाना चाहेंगे

punjabkesari.in Thursday, Jan 26, 2017 - 03:13 PM (IST)

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा है- इस कर्मयोग में निश्चय रखने वाली और समाधान देने वाली बुद्धि एक ही है। अस्थिर विचार वाले विवेकहीन मनुष्यों की बुद्धि कई तरह के भेद और शंकाएं पैदा करती है। अगर बुद्धि बिखरी है और मन भटका हुआ है तो निश्चय की कमी और छोटी-छोटी बातें तकलीफ देती रहती हैं। इसका मतलब साफ है कि हम केवल कुछ पाने की इच्छा से ही कर्म कर रहे हैं। कुछ पाने की इच्छा में किया गया काम, सकाम कर्म कहलाता है। केवल फल की इच्छा में लगी बुद्धि विवेक को खा जाती है। इसकी वजह यह है कि सकाम कर्म हम भावुक होकर और अहंकार के साथ करते हैं। इससे मन में कई तरह की शंकाएं पैदा होती हैं और मन अस्थिर हो जाता है। 


इससे छुटकारा पाने के लिए भगवान श्री कृष्ण कर्मयोग के रास्ते पर जाने की सलाह देते हैं। कर्मयोग की मदद से काम करते हुए भी उस काम से मोह नहीं होता। बुद्धि सही-गलत में फर्क को समझने लायक बनी रहती है। इस तरह का संतुलन बनाने के लिए हमें विवेक की जरूरत होती है। विवेक हमारे मन के भीतर लगे एक तराजू की तरह काम करता है, जो गलत और सही का भेद बताता है। यही भेद बताने वाला विवेक हमें कर्मयोग के रास्ते पर ले जाता है।


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