Srimad Bhagavad Gita: गर्मियों में स्वास्थ्य रक्षा के लिए जानें सेहत की बात

punjabkesari.in Sunday, Jul 02, 2023 - 10:27 AM (IST)

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Srimad Bhagavad Gita: गीता का एक श्लोक है- युक्ताहार विहारस्य युक्त चेष्टाश्य कर्मसु, युक्ता स्वप्नोबोध्यास्य योग भवति दुखहा।

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इसका अर्थ है कि जिस व्यक्ति का आहार-विहार ठीक नहीं, जिस व्यक्ति की सांसारिक कार्यों के करने की निश्चित दिनचर्या नहीं है और जिसकी सोने-जागने की निश्चित दिनचर्या नहीं है, यदि वह योग करने का दंभ रखता है तो उसे योग का कोई लाभ नहीं मिल सकता।  वह योग करके भी दुखी रहता है। अत: हमें इसके अर्थ और भाव के अनुसार अपने जीवन को ढालना चाहिए। गर्मी के मौसम में इन नियमों सहित कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

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शेष बातें हैं कि दिन की तेज धूप के समय बाहर कम से कम निकलें। सर्वप्रथम अपने भोजन की दिनचर्या में परिवर्तन लाएं। समय पर भोजन और शीतल घड़े का जल ग्रहण करें। फ्रिज का जल और भोजन ग्रहण न करें। गर्मी में रॉक साल्ट, जीरा, सौंफ, इलायची जैसे मसाले तथा दही, आम पन्ना, पुदीना, बेल का फल, ठंडाई, चटनी, चने या जौ का सत्तू, जल जीरा आदि लेना अधिक लाभप्रद होता है। गर्मी में बदन पर रैशेज पड़ जाते हैं। अत: खुली त्वचा को ढक कर धूप में निकलें और चेहरे या खुली बाजू पर सनस्क्रीन लोशन शरीर की रक्षा हेतु लगा लें।

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अच्छी ऐनक लगा कर आंख की रक्षा करें। पानी की बोतल साथ रखें। सूती कपड़े पहनें। भोजन में तला, गला हुआ या गरिष्ठ खाना आपको नुक्सान पहुंचा सकता है, अत: इससे बचें और दिन की शुरूआत में एक-दो गिलास पानी नींबू सहित पिएं। हल्के-फुल्के खाद्य पदार्थ, रसीले फल- संतरा, नींबू, बेरी, नारियल आदि और बेल या गुलाब का शरबत, तरबूज, ककड़ी, खीरा आदि अधिक ग्रहण करें।
एक आवश्यक बात है कि ए.सी का कम से कम प्रयोग करें और ए.सी. से एकदम बाहर न निकलें। अंतिम बात यह है कि आप प्रात:काल नियमित तौर पर शीतली प्राणायाम भी जरूर करें। इन बातों और सावधानियों से आप गर्मी में पूर्ण सुरक्षित रहेंगे।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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