आज जानिए ‘मारीच वध’ से जुड़े स्थान, यहां लगा था मरीच को श्री राम का बाण

punjabkesari.in Sunday, Jul 18, 2021 - 07:45 AM (IST)

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राम की वनवास यात्रा से जुड़े जिन स्थलों के दर्शन इस बार आपको करवाने जा रहे हैं, उनमें वे स्थान शामिल हैं जहां मारीच हिरण बन कर छल करके श्रीराम को सीता माता से दूर ले गया और उनके हाथों उसे मुक्ति प्राप्त हुई। ये स्थल महाराष्ट्र में स्थित हैं।

महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक क्षेत्र विशेष में ठाण नामक कई गांव हैं। इसके पीछे लोक मान्यता है कि हिरण रूपी मारीच जंगल में पेड़ों और झाडिय़ों के पीछे जान बचाने के लिए छिपता रहा। उसकी मृत्यु से पूर्व रामजी ने अनेक स्थानों पर खड़े होकर निशाना साधा किन्तु तीर चलाने से पहले वह भाग लेता। अत: ठाण नाम के अनेक स्थल हैं। ठाण का अर्थ है खड़े होना। इसी प्रकार नांदूर मध्यमेश्वर में गोदावरी के किनारे बाणेश्वर मंदिर है। 

लोक कथा के अनुसार यहां खड़े होकर श्रीराम ने मारीच को मारा था। आज यहां भी एक मंदिर है। मरीच ने बाण लगने के बाद श्रीराम की आवाज की नकल करते हुए लक्ष्मण जी से सहायता की गुहार की थी। सीता मां की प्रेरणा से लक्ष्मण जी श्रीराम से मिलने गए तब नांदूर के मध्यमेश्वर में श्रीराम एवं लक्ष्मण जी की भेंट हुई थी।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा. 3/44/1 से 3/ 44 / 22 तक  मानस 3/26/6 से  3/27/1 तक)

मृग व्याधेश्वर, नासिक
लोक मान्यता के अनुसार यहीं मारीच को बाण लगा था और उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए थे। यह स्थल नेफाड़ से 12 किलोमीटर पूर्व दिशा में है। मारीच को मारने के पश्चात् श्रीराम ने गोदावरी तथा प्रवरा के पवित्र संगम पर घट स्थापित कर शिव पूजा की थी। घटेश्वर प्रवरा संगम नामक यह स्थान अहमदनगर में है। श्रीराम ने मारीच वध के पश्चात् मुक्तेश्वर टोक में मारीच को संसार रूपी भवसागर से मुक्ति प्रदान की थी।
(ग्रंथ उल्लेख : वा.रा.3/57/ 14,15,मानस3/29ख/1) 
 


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Content Writer

Jyoti

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