हिमाचल में शुरू हुआ बाबा बालक नाथ मंदिर में मेला, 13 अप्रैल तक रहेगी इसकी धूम

punjabkesari.in Wednesday, Mar 17, 2021 - 03:20 PM (IST)

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हिमाचल के दियोटसिद्ध में स्थित भक्तों के बीच प्रसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर में चैत्र मास मेले का शुभारंभ हो गया है, जो कि 13 अप्रैल तक चलेगा। आपको बता दें कि 14 मार्च को झंडा रस्म के साथ मेला शुरू किया गया था। गौरतलब है कि प्रथम दिन लगभग 25 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। विभिन्न प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं की कतारें सुबह पांच बजे ही लगना शुरू हो गई थी। हालांकि पुलिस प्रशासन को श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए मशक्कत करनी पड़ी। इस बार कोरोना के मद्देनजर विशेष ध्यान रखा गया। आपको बता दें कि मंदिर को 24 घंटे खुला रखा जाएगा, सैनिटाइजेशन के लिए मंदिर दिन में दो बार थोड़ी देर बंद भी रहेगा।

चलिए अब आपको बाबा बालक नाथ मंदिर के बारे में अनोखी जानकारी देते हैं-
प्राचीन मान्यता के अनुसार बाबा बालक नाथ जी को भगवान शिव का अंश अवतार ही माना जाता है। श्रद्धालुओं में ऐसी धारणा है कि बाबा बालक नाथ जी अल्पायु में ही अपना घर छोड़ कर चार धाम की यात्रा करते-करते शाहतलाई नामक स्थान पर पहुंचे थे। शाहतलाई में ही रहने वाली माई रतनो नामक महिला ने, जिनकी कोई संतान नहीं थी इन्हें अपना धर्म पुत्र बनाया। बाबा जी ने 12 वर्ष माई रतनो की गऊएं चराईं। कहा जाता है एक दिन गुस्से में माता रतनो ने रोटी का ताना दे दिया। जिसके बाद इन्होंने 12 साल की लस्सी व रोटियां एक पल में लौटा दीं।

इस घटना की जब आस-पास के क्षेत्र में चर्चा हुई तो ऋषि-मुनि व अन्य लोग बाबा जी की चमत्कारी शक्ति से बहुत प्रभावित हुए। गुरु गोरख नाथ जी को जब से ज्ञात हुआ कि एक बालक बहुत ही चमत्कारी शक्ति वाला है तो उन्होंने बाबा बालक नाथ जी को अपना चेला बनाना चाहा लेकिन बाबा जी के इनकार करने पर गोरखनाथ बहुत क्रोधित हुए।  जब गोरखनाथ ने उन्हें जबरदस्ती चेला बनाना चाहा तो बाबा जी शाहतलाई से उडारी मारकर धौलगिरि पर्वत पर पहुंच गए जहां बाबा जी की पवित्र सुंदर गुफा स्थापित है। मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही अखंड धूणा सबको आकर्षित करता है। ये धूणा बाबा बालक नाथ जी का तेज स्थल होने के कारण भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। धूणे के पास ही बाबा जी का पुरातन चिमटा है।  

इस गुफा में महिलाओं का जाना वर्जित है। बाबा जी की गुफा के सामने ही एक बहुत सुंदर गैलरी का निर्माण किया गया है जहां से महिलाएं बाबा जी की सुंदर गुफा में प्रतिष्ठित मूर्ति के दर्शन करती हैं। सेवक जन बाबा जी की गुफा पर रोट का प्रसाद चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि जब बाबा जी गुफा में अलोप हुए तो यहां एक दीपक जलता रहता था जिसकी रोशनी रात्रि में दूर-दूर तक जाती थी इसलिए लोग बाबा जी को, ‘दियोट सिद्ध’ के नाम से भी जानते हैं। लोगों की मान्यता है कि भक्त मन में जो भी इच्छा लेकर जाए वो अवश्य पूरी होती है। बाबा जी अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं इसलिए देश-विदेश व दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा जी के मंदिर में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं।


 


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Content Writer

Jyoti

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