Spiritual purity in worship: शास्त्रों के अनुसार पूजा कैसे करें ? जानें सही प्रक्रिया और फायदे
punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2025 - 10:05 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Spiritual purity in worship: पूजा करते समय शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करने के पीछे धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। इन नियमों का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाना होता है बल्कि मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करना भी होता है। शास्त्रों में बताए गए पूजा के नियम मनुष्य को आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक रूप से लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। इनका पालन करने से व्यक्ति न केवल भगवान के प्रति अपनी भक्ति को सुदृढ़ करता है बल्कि अपने जीवन को भी अनुशासन और सकारात्मकता से भर देता है।
आध्यात्मिक शुद्धता बनाए रखना: शास्त्रों में पूजा से पहले स्नान करने, साफ कपड़े पहनने और शुद्धता बनाए रखने पर जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य आत्मा और शरीर को शुद्ध करना है ताकि व्यक्ति पूजा के दौरान भगवान से एकाग्रता और शुद्ध हृदय से जुड़ सके।
ध्यान और एकाग्रता बढ़ाना: पूजा करते समय शास्त्रों में दिए गए मंत्रों और प्रक्रियाओं का पालन करने से ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि होती है। मंत्र उच्चारण और विधिपूर्वक पूजा से मानसिक शांति और ध्यान की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे व्यक्ति भगवान के साथ गहरी आत्मीयता अनुभव करता है।
ऊर्जा का संतुलन: पूजा में दीप, धूप, मंत्र और यज्ञ जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। शास्त्रों में बताए गए नियम इन प्रक्रियाओं को सही तरीके से करने में मदद करते हैं, जिससे पूजा का लाभ अधिक मिलता है।
आध्यात्मिक अनुशासन सिखाना: शास्त्रों के नियम पूजा को अनुशासन में बांधते हैं। यह अनुशासन व्यक्ति को संयम, समर्पण और सही समय पर कार्य करने की प्रेरणा देता है, जो जीवन के अन्य पहलुओं में भी मददगार होता है।
परंपरा और संस्कृति का संरक्षण: शास्त्रों में बताए गए नियम हमारी प्राचीन परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित करते हैं। इन नियमों का पालन करने से आने वाली पीढ़ियों को भी इन परंपराओं का महत्व समझ में आता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: शास्त्रों में पूजा के समय सामग्री जैसे हल्दी, चंदन, धूप, फूल आदि के उपयोग का वर्णन है। इनका वैज्ञानिक महत्व है:
हल्दी और चंदन जीवाणुरोधी होते हैं और वातावरण को शुद्ध करते हैं।
दीपक और धूप का धुआं वातावरण से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
इन नियमों का पालन करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भक्ति और समर्पण का भाव जागृत करना: शास्त्रों में दिए गए नियमों का पालन करने से पूजा में भक्ति और समर्पण की भावना जागृत होती है। यह व्यक्ति को अहंकार से मुक्त कर भगवान के प्रति विनम्र और समर्पित बनाता है।