Somnath Sharma Birth Anniversary: पढ़ें, प्रथम ‘परमवीर चक्र’ विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की बहादुरी की दास्तां

punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 08:19 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Somnath Sharma Birth Anniversary: अब तक सेना का सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र 21 जवानों को दिया जा चुका है। इसमें से 14 योद्धाओं को मरणोपरांत जबकि 7 को उनके जीवनकाल में यह अलंकार प्राप्त हुआ। भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी, 1923 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के दध में हुआ था। इनके पिता अमरनाथ शर्मा खुद सेना के एक अफसर थे। नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में शिक्षा ली। इनके परिवार के कई सदस्यों ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दीं। इनके छोटे भाई विश्वनाथ शर्मा भारतीय सेना के 15वें सेनाध्यक्ष रहे।

22 फरवरी, 1942 को रॉयल मिलिट्री कॉलेज से स्नातक होने पर सोमनाथ की नियुक्ति ब्रिटिश भारतीय सेना की 19वीं हैदराबाद रैजीमैंट की 8वीं बटालियन में हुई (जो बाद में भारतीय सेना के चौथी बटालियन, कुमाऊं रैजीमैंट के नाम से जानी जाने लगी)। इन्होंने बर्मा में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अराकन अभियान में जापानी सेनाओं के विरुद्ध युद्ध किया। अराकन अभियान में इनके योगदान के कारण इन्हें मेन्शंड इन डिस्पैचेस में स्थान मिला।  

PunjabKesari Somnath Sharma Birth Anniversary

Why did major somnath sharma got param vir chakra: 15 अगस्त, 1947 को देश के विभाजन के बाद जम्मू-कश्मीर रियासत के राजा हरी सिंह असमंजस में थे। वह अपनी रियासत को स्वतंत्र रखना चाहते थे। 2 महीने इसी कशमकश में बीत गए जिसका फायदा उठा कर पाकिस्तानी सैनिक कबायलियों के भेष में कश्मीर हड़पने के लिए टूट पड़े। 22 अक्तूबर, 1947 से पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व में कबायली हमलावरों ने कश्मीर में घुसपैठ शुरू कर दी। वहां शेख अब्दुल्ला कश्मीर को अपनी रियासत बना कर रखना चाहते थे। रियासत के भारत में कानूनी विलय के बिना भारतीय शासन कुछ नहीं कर सकता था। जब हरी सिंह ने जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान के पंजे में जाते देखा, तब उन्होंने 26 अक्तूबर, 1947 को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। हरी सिंह के हस्ताक्षर करते ही गृह मंत्रालय सक्रिय हो गया और भारतीय सेना को भेजने का निर्णय लिया।

A hero for soldiers: मेजर सोमनाथ शर्मा और उनकी 4 कुमाऊं बटालियन को हवाई मार्ग से 31 अक्तूबर, 1947 को श्रीनगर एयरफील्ड पर उतारा गया। मेजर शर्मा के दाएं हाथ में फ्रैक्चर था जो हॉकी खेलते समय चोट लगने की वजह से हुआ था फिर भी वह युद्ध में गए। 3 नवम्बर को उनके नेतृत्व में बटालियन की ए और डी कम्पनी गश्त पर निकली और बड़गाम गांव के पश्चिम में खंदक बनाकर सैन्य चौकी बनाई। सीमा पर एक पाकिस्तानी मेजर के नेतृत्व में कबायली समूह छोटे-छोटे गुटों में इकट्ठे हो रहे थे ताकि भारतीय गश्ती दलों को उनका सुराग न मिल सके। देखते ही देखते मेजर शर्मा की चौकी को कबायली हमलावरों ने तीन तरफ से घेर लिया।

PunjabKesari Somnath Sharma Birth Anniversary

मेजर शर्मा की टुकड़ी में 50 जवान थे। मदद आने तक इन्हीं जवानों को हमलावरों को श्रीनगर एयरफील्ड तक पहुंचने से रोकना था जो भारत से कश्मीर घाटी के हवाई सम्पर्क का एकमात्र जरिया था। 700 आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों ने मेजर शर्मा की टुकड़ी पर हमला कर दिया लेकिन वे पीछे नहीं हटे। एक हाथ में प्लास्टर होने के बावजूद मेजर शर्मा खुद सैनिकों को भाग-भाग कर हथियार और गोला-बारूद देने का काम कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने एक हाथ में लाइट मशीनगन भी थाम ली थी। हमलावरों और भारतीय जवानों के बीच जबरदस्त संघर्ष शुरू हो गया। मेजर शर्मा जानते थे कि उनकी टुकड़ी को हमलावरों को कम से कम 6 घंटे तक रोके रखना होगा ताकि उन्हें मदद मिल सके। मेजर शर्मा जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए गोलियों की बौछार के सामने खुले मैदान में एक मोर्च से दूसरे मोर्चे पर जाकर जवानों का हौसला बढ़ा रहे थे। हाथ में प्लास्टर लगे होने के बावजूद वह जवानों की बंदूकों में मैगजीन भरने में मदद करते रहे।

उन्होंने खुले मैदान में कपड़े से एक निशान बना दिया ताकि भारतीय वायु सेना को उनकी टुकड़ी की मौजूदगी का सटीक पता चल सके। इसी बीच एक मोर्टार के हमले से बड़ा विस्फोट हुआ जिसमें मेजर शर्मा बुरी तरह से घायल हो गए और कश्मीर की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

शहीद होने से पहले मेजर शर्मा ने ब्रिगेड मुख्यालय को भेजे आखिरी संदेश में कहा था, ‘‘दुश्मन हमसे केवल 50 गज दूर है। दुश्मन की संख्या हमसे बहुत ज्यादा है। हमारे ऊपर तेज हमला हो रहा है लेकिन जब तक हमारा एक भी सैनिक जिंदा है और हमारी बंदूक में एक भी गोली है, हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।’’

इनकी शहादत के बाद इनके साथी सैनिकों ने सहायता आने तक दुश्मनों पर हमले जारी रखे और पाकिस्तानी सेना को आगे नहीं बढ़नें दिया। यदि वह हवाई अड्डा चला जाता तो आज पूरा कश्मीर पाकिस्तान के कब्जे में होता। उन्होंने प्राण देकर भी अपना वचन निभाया और दुश्मनों को एक इंच भी आगे नहीं बढ़नें दिया।

PunjabKesari Somnath Sharma Birth Anniversary

India first Param Vir Chakra winner: बड़गाम की लड़ाई में मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार प्रेम सिंह मेहता और अन्य जवान शहीद हुए थे। भारतीय सैनिकों ने 200 से ज्यादा हमलावरों को मार गिराया था। मेजर शर्मा 24 साल की उम्र में 3 नवम्बर, 1947 को पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। भारत सरकार ने श्रीनगर हवाई अड्डे के बचाव में इनके शौर्य, साहस और पराक्रम को देखते हुए 21 जून, 1950 को देश का पहला परमवीर चक्र मरणोपरांत मेजर शर्मा को देकर सम्मानित किया था। यह भी संयोग ही था कि श्री शर्मा की भाभी सावित्री बाई खानोलकर ही परमवीर चक्र की डिजाइनर थीं। हाल ही में 21 परमवीर चक्र विजेता योद्धाओं के नाम पर 21 टापुओं का नामकरण भी किया गया है। 

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News