Siddhi Vinayak Ganesh Chaturthi: धन और सुख  की इच्छा रखने वाले आज अवश्य करें ये पाठ

punjabkesari.in Friday, Oct 28, 2022 - 07:37 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Vinayaka Chaturthi 2022: आज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस रोज विनायक चतुर्थी व्रत किया जाता है। वैसे तो इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है लेकिन आज शुक्रवार है, जो देवी लक्ष्मी का प्रिय वार है। अत: धन, सुख और समृद्धि की इच्छा रखने वाले मां लक्ष्मी और उनके मानस पुत्र गणेश जी की एकत्र रुप से पूजा-अराधना करें। दोपहर तक गणेश जी की पूजा करें और शाम ढलने के बाद मां लक्ष्मी का पूजन शुभ फल देता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो धन संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए भगवान गणेश के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। किसी भी काम में विघ्न-बाधाएं दूर करने और सफलता प्राप्ति के लिए श्री गणेश स्तोत्र और श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का कम से कम 1 माला पाठ करें। इस पाठ के प्रभाव से अद्भुत परिणाम सामने आते हैं। धन संबंधित वो भी काम संभव हो जाएंगे, जिनती आपने उम्मीद तक छोड़ दी थी।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

PunjabKesari ganesh chaturthi

Vinayaka Chaturthi puja muhurat विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट से दोपहार 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

Vinayaka Chaturthi shubh yog विनायक चतुर्थी पर 3 शुभ योगो का आगमन
आज मांगलिक कार्यों के लिए 3 शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:30 से सुबह 10:42 तक रहेगा। रवि योग सुबह 10: 42 से 29 अक्टूबर की सुबह 06:31 तक रहेगा। शोभन योग सुबह से आरंभ होकर अगले दिन 29 अक्टूबर को 01:30 ए.एम तक रहेगा।

Shri Ganesh Stotra mantra श्री गणेश स्तोत्र मंत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।1।।
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम।।2।।
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ।।3।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम।।4।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।5।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ।।6।।
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ।।7।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।8।

PunjabKesari  ganesh chaturthi

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करे

Shri Ashtalakshmi Stotram श्री अष्टलक्ष्मी स्त्रोत
आदि लक्ष्मी

सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि शान्तिनुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि परिपालय माम्।

धान्य लक्ष्मी:
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ।

धैर्य लक्ष्मी:
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि मन्त्रमये।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय माम् ।

गज लक्ष्मी:
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये।
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते।
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम्।

सन्तान लक्ष्मी:
अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय माम्।

विजय लक्ष्मी:
जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये।
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम्।

विद्या लक्ष्मी:
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे ।
नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम्।

PunjabKesari  ganesh chaturthi

धन लक्ष्मी:
धिमिधिमि धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये।
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद सुवाद्यनुते।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते ।
जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।
विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी ।।
शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम।

। इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम सम्पूर्णम ।

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News