अगर आपकी पत्नी भी गलती होने पर देती है सजा तो आप हैं भाग्यवान
punjabkesari.in Wednesday, Aug 02, 2023 - 08:59 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shivaji Maharaj: शिवाजी महाराज के दरबार में अनेक शूरवीर महारथी थे। दादा कोंडदेव उनमें प्रमुख थे। वह शिवाजी महाराज को शस्त्र विद्या सिखाते थे। वह उनके प्रमुख सलाहकारों में से भी एक थे। एक बार वह दरबार से अपने घर वापस जा रहे थे। उनके घर का रास्ता, राजा के बगीचे से गुजरता था। बगीचे में गुजरते समय उनकी नजर आम के पेड़ पर लटके हुए आमों पर पड़ी। आमों को देखकर उनका मन उन्हें तोड़ने को मचल पड़ा। वह कुछ आम पेड़ से तोड़कर अपने घर ले गए। पत्नी ने बड़े-बड़े आम देखकर उनसे पूछा, ‘‘आप इन्हें कहां से लाए हो?’’
वह बोले, ‘‘राजा के बगीचे से तोड़ कर लाया हूं।’’
पत्नी ने पूछा, ‘‘क्या आपने इसके लिए राजा से आज्ञा ली थी?’’
यह सुनकर कोंडदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ। उनका मन ग्लानि से भर गया। अपने द्वारा किए गए गलत कार्य की क्या सजा हो सकती है, यह उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा तो पत्नी ने सुझाया कि चोरी के लिए बढ़े हुए हाथों को सजा के रूप में काट देना चाहिए।
इतना सुनते ही कोंडदेव ने अपने हाथ काटने के लिए म्यान में से तलवार निकाल ली किंतु पत्नी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया तथा समझाया कि इतनी क्रूर सजा अपने आपको देना ठीक नहीं है। इससे आपका ही नहीं, देश का भी नुक्सान होगा। भविष्य में आप राजा का कोई कार्य नहीं कर पाओगे।
पत्नी ने कोंडदेव को समझाया कि आप अभी प्रण लो कि फिर कभी ऐसा कार्य नहीं करोगे तथा प्रतीकात्मक सजा के रूप में, पत्नी ने उन्हें उनके कुर्ते की दोनों बाहें काटने की सलाह दी। कोंडदेव ने वैसा ही किया।
अगले दिन जब वह बिना बाहों वाला कुर्ता पहनकर दरबार में गए तो सभी दरबारी उनकी हंसी उड़ाने लगे। जब दरबारियों ने उनके बिना बाहों वाले कुर्ते में आने का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात सच-सच बता दी। सारे दरबारी इस घटना से बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद कोंडदेव ने पूरा जीवन बिना बाहों वाला कुर्ता ही पहना, ताकि उन्हें अपने द्वारा किए गए गलत कार्य का अहसास होता रहे।