Shani Jayanti: सावधानी के साथ मनाएं शनिदेव का बर्थ डे, पाएं Special Gift

punjabkesari.in Saturday, May 17, 2025 - 07:04 AM (IST)

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Shani Dev Birthday: सूर्य पुत्र शनि देव का जन्मोत्सव ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाने का विधान है। शास्त्रनुसार इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था, जिनका तमाम देवताओं में अलग ही महत्व है। अक्सर लोग शनि को क्रूर ग्रह कहते हैं लेकिन यह बात सच नहीं है। शनि न्यायप्रिय हैं। वे गलत कार्य करने वालों को दंडित करते हैं और अच्छे कार्य करने वालों को पुरस्कृत। हां, उन्हें इतनी शक्ति प्राप्त है कि मानव तो क्या, देवता भी उनसे डरें। शनि को स्वर्ण मुकुट धारण किए दर्शाया जाता है। वे नीले वस्त्र धारण करते हैं। इनकी चार भुजाओं में क्रमश: धनुष, बाण, त्रिशूल व वरमुद्रा है। उनका वाहन कौआ है। 

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ज्योतिषशास्त्र के खगोल खंड अनुसार शनि नवग्रहों में से एक हैं व इनके चारों तरफ एक रिंग नुमा आकृति है। शनि धीमे चलते हैं अतः इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है। ज्योतिष में शनि के प्रभाव का साफ संकेत मिलता है। शनि ग्रह वायु तत्व व पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। शास्त्रनुसार शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना व अनुष्ठान करने से शनि विशिष्ट फल प्रदान करते हैं।

शास्त्रनुसार शनि ऐसे देवता हैं जो अच्छे कामों व मेहनत के बूते खुशहाल बनने की प्रेरणा देते हैं परंतु जगत न्यायाधीश होने के कारण वह अनुशासन, संयम, पवित्रता और संकल्प के साथ मकसद को पूरा करने का सबक भी देते हैं। कुंडली में शनि की शुभ या अशुभ स्थिति से शेष 8 ग्रहों के फल बदल जाते हैं। शनि जयंती पर शनि के लिए किए गए उपायों से कुंडली के सभी दोषों का असर खत्म हो सकता है और भाग्य का साथ मिल सकता है। 

मान्यतानुसार शनि के प्रसन्न रहने पर व्यक्ति को अपनी मुसीबतों से मुक्ति मिलती है। शनि देव को प्रसन्न करने में दान का भी विशेष महत्व है। यदि शनि आप से रुष्ट हैं तो आपको मानसिक शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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शनि जयंती वाली अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठे व सबसे पहले शनि देव को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दें और उनसे वंदना करें की आज का दिन वे आपका उनकी सेवा में लगा कर रखें। फिर स्नान करके अपने आराध्य देव-देवी, माता-पिता गुरु का आशीष लें। हो सके तो काले कपडे़ ही पहनें।

इस वर्ष का शनि जन्मोत्सव दिवस आलस्य, कष्ट, विलंब, पीड़ानाशक होकर भाग्योदय कारक बनाने के लिए दुर्लभ अवसर है। इस पर्व का लाभ लेने के लिए सर्वप्रथम स्नानादि से शुद्ध होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनि देव की प्रतिमा रखें शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं। शनि स्वरूप के प्रतीक को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य लगाएं। नैवेद्य के पूर्व उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। नैवेद्य अर्पण करके फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें। इस पंचोपचार पूजन के पश्चात किसी शनि मंत्र का जाप हकीक की माला से करें। अंत में आरती करें व साष्टांग प्रणाम करें।

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Shani Jayanti 2025 Do's and Dont's
Shani jayanti 2025 par kya kare क्या करें शनि जयंती पर: 

शरीर पर सरसों के तेल से मालिश करें। 
तिल मिले पानी से स्नान करें।
काले कपड़े पहनें। 
पीपल की पूजा कर सात परिक्रमा करें।
कोहड़ियों व विकलांगो की सेवा करें। 
काली गाय, कौए, काले कुत्ते व चींटी को तेल में बने पकवान डालें। 

Shani jayanti 2025 par kya na kare क्या न करें शनि जयंती पर: 
दूध न पीएं।
रतिक्रीड़ा में संलिप्त न हों। 
मांस-मदिरा का सेवन न करें। 
दाड़ी व बाल न कटवाएं।
तेल व लकड़ी न खरीदें
शनिदेव के दर्शन करते समय उनकी आंखों को न देखें।
दक्षिण, पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। 

 

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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