17 मार्च को शनि अमावस्या, साढ़ेसाती और ढैय्या से पाएं राहत

punjabkesari.in Thursday, Mar 15, 2018 - 07:39 AM (IST)

17 मार्च को वर्ष 2018 की पहली शनि अमावस्या है। इस रोज किए गए उपाय और  पाठ-पूजा अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक फलदायक होते हैं। यह दिन ढैय्या, साढ़ेसाती और शनि संबंधित दोष दूर करने के लिए सबसे उत्तम है। इस दिन का उठाएं पर्याप्त लाभ और पाएं राहत। शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल, तिल, तेल, गुड़ बहुत प्रिय हैं। इनके नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए। पूजा के उपरांत राहु और केतु की पूजा करें। संध्या समय पीपल देवता को जल दें, सूत्र बांधें एवं सात बार परिक्रमा करें और शनि देव के किसी भी मंत्र का जाप करते रहें। शनि मंदिर में तेल का दीप दान करें, जिसमें कुछ दानें उड़द की दाल के डाल दें। उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर शनि देव को भोग लगा कर गरीबों में बांट दें और शेष प्रसाद स्वयं ग्रहण करें।


शनिश्चरी अमावस को अपना पहना कपड़ा दान करें।


सूर्योदय से पूर्व गुड़ मिश्रित जल तांबे के लोटे से पीपल पर चढ़ाएं।


लोहे के पात्र में जल, चीनी, घी, दूध मिला कर पीपल की जड़ में डालें।


अपने वजन के बराबर कच्चा कोयला शनिवार को बहाएं।


वजन के बराबर कच्चे कोयले या सतनाजा : गेहूं, मक्की, जौ, ज्वार, बाजरा, चने, चावल चलते पानी में बहाएं।


8 किलो काले उड़द बहाएं। 


नॉनवैज न खाएं। 


विधवा को 8 पिन्नियां दें।


नवग्रह या हनुमान जी के मंदिर जाएं।


आटे की गुड़ मिश्रित गोलियां जल में डालें।


कौवों को काले तिल के लड्डू दें, पानी साथ में रखें।


कुएं में दूध डालें।

महामुनि पिप्पलाद जी के अनुसार शनि देव की कृपा प्राप्ति के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की लोहे की मूर्ति को तेल से भरे बर्तन में रखकर एक वर्ष तक काले फूल, काले कपड़े, तिल, कसार, भात से व्रत पूजन करना चाहिए। काली गाय, काला कम्बल, तिल का तेल और दक्षिणा दान ब्राह्मणों को करना चाहिए।


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