Navratri 2020: 4 अदृश्य शक्तिपीठ, जिन्हें आज तक कोई ढूंढ नहीं सका !

punjabkesari.in Friday, Oct 23, 2020 - 08:08 AM (IST)

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नवरात्र में माता रानी के भक्त देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में दर्शन करने के लिए जाते हैं। भारत में देवी सत्ती के कई शक्तिपीठ हैं लेकिन माता के कुछ शक्तिपीठ ऐसे भी हैं जिन्हें आज तक कोई ढूंढ नहीं सका।

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शक्तिपीठों से जुड़ी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष प्रजापति भगवान ब्रह्मा जी के पुत्र थे और सती के पिता थे। सती भगवान शिव की पहली पत्नी थीं। राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया जिसमें सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतों को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था। इस घटना से सती ने अपमानित महसूस किया क्योंकि सती को लगा राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया है। अत: सती ने यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।

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सती के वियोग में भगवान शिव ने सती के शरीर को कंधे पर उठा तांडव नृत्य करना आरंभ कर दिया। तब भगवान विष्णु ने शिव जी को रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। ऐसे में जहां-जहां सती के शरीर के अंग, वस्त्र और आभूषण गिरे वे स्थान शक्तिपीठ बन गए। कुल मिलाकर 51 शक्तिपीठ हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं। माता सती के कुछ अंग और आभूषण देश के बाहर भी गिरे थे लेकिन उन शक्तिपीठों की खोज नहीं हो सकी।

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देवी के ये अदृश्य शक्तिपीठ निम्र हैं :
रत्नावली शक्तिपीठ
ऐसी मान्यता है कि इस शक्तिपीठ में देवी मां का कंधा गिरा था। इस शक्तिपीठ के बारे में मान्यता है कि देवी का यह अंग चेन्नई के आसपास इलाकों में गिरा है लेकिन इस जगह के बारे में आज तक किसी को मालूम नहीं है।

कालमाधव शक्तिपीठ
दूसरा शक्तिपीठ जिसके बारे में आज तक मालूम नहीं है वह है कालमाधव शक्तिपीठ। कहा जाता है कि यहां देवी सती कालमाधव और शिव असितानंद नाम से निवास करती हैं।

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लंका शक्तिपीठ
इस स्थान पर देवी सती का आभूषण गिरा था। शास्त्रों में इस शक्तिपीठ के बारे में बताया गया है। इस स्थान के बारे में भी आज तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

पंचसागर शक्तिपीठ
चौथे शक्तिपीठ के बारे में भी कोई जानकारी अब तक नहीं है। इस जगह पर सती का निचला जबड़ा गिरा था। इस स्थान पर देवी सती को वरही कहा जाता है।

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Niyati Bhandari

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