Shakti Peeth Devi Temples In India and Outside India: देश-विदेश में हैं माता के महाशक्ति पीठ, आप भी करें दर्शन
punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 02:01 PM (IST)

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Shakti Peeth Devi Temples In India and Outside India: पुराणों के अनुसार, जहां-जहां महाशक्ति माता सती के अंगों के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं। देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है, वहीं तंत्रचूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। देवी पुराण में जरूर 51 शक्तिपीठों की ही चर्चा की गई है। इन 51 शक्तिपीठों में से कुछ पड़ोसी देशों में भी हैं। वर्तमान में भारत में 42, पाकिस्तान में 1, बंगलादेश में 4, श्रीलंका में 1, तिब्बत में 1 तथा नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं।
पश्चिम बंगाल की हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर किरीट शक्तिपीठ पर माता का किरीट यानी शिराभूषण यानी मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।
वृंदावन-मथुरा के भूतेश्वर में कात्यायनी शक्तिपीठ पर माता सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं तथा भैरव भूतेश हैं।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में करवीर शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी मीरघाट पर विशालाक्षी शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता सती के दाहिने कान की मणि गिरी थी। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव कालभैरव हैं।
आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर गोदावरी शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता का वामगंड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दंडपाणि हैं।
हिमाचल के कांगड़ा में ज्वालामुखी शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता सती की जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं। भैरव पर्वत शक्तिपीठ को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ गुजरात के गिरिनार के निकट भैरव पर्वत को, तो कुछ मध्य प्रदेश के उज्जैन के निकट क्षिप्रा नदी तट पर वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं, जहां माता का उर्ध्व ओष्ठ गिरा है। यहां की शक्ति अवंती तथा भैरव लंबकर्ण हैं।
महाराष्ट्र-नासिक के पंचवटी में जनस्थान शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की ठुड्डी गिरी थी। यहां की शक्ति भ्रामरी तथा भैरव विकृताक्ष हैं।
जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ में अमरनाथ शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता का कंठ गिरा था। यहां की शक्ति महामाया तथा भैरव त्रिसंध्येश्वर हैं।
पश्चिम बंगाल के सैन्थया में नंदीपुर शक्तिपीठ स्थित है। यहां देवी की देह का कंठहार गिरा था। यहां कि शक्ति निंदनी और भैरव नदिंकेश्वर हैं।
आंध्र प्रदेश के कुर्नूल के पास श्रीशैल शक्तिपीठ है। यहां माता की ग्रीवा गिरी थी। यहां की शक्ति महालक्ष्मी तथा भैरव संवरानंद अथवा ईश्वरानंद हैं।
पश्चिम बंगाल के बोलपुर में नलहटी शक्तिपीठ है। यहां माता की उदरनली गिरी थी। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव योगीश हैं।
पंजाब के जालंधर में जालंधर शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता का वामस्तन गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुरमालिनी तथा भैरव भीषण हैं।
रामागरि शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर भी विद्वानों में मतांतर हैं। कुछ उत्तर प्रदेश के चित्रकूट तो कुछ मध्य प्रदेश के मैहर में मानते हैं। यहां माता का दाहिना स्तन गिरा था। यहां की शक्ति शिवानी तथा भैरव चंड हैं।
झारखंड के गिरिडीह, देवघर में वैद्यनाथ शक्तिपीठ पर माता का हृदय गिरा था। यहां की शक्ति जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ हैं। एक मान्यतानुसार, यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
पश्चिम बंगाल के सैन्थया में वक्तोश्वर शक्तिपीठ स्थित है, जहां माता का मन गिरा था। यहां की शक्ति महिषासुरमर्दिनी तथा भैरव वक्तानाथ हैं।
तमिलनाडु-कन्याकुमारी के तीन सागरों हिंद महासागर, अरब महासागर तथा बंगाल की खाड़ी के संगम पर कण्यकाश्रम शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की पीठ, मतांतर से उधर्वदंत गिरा था। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।
पश्चिम बंगाल केतुग्राम में बहुला शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की वाम बाहु गिरी थी। यहां की शक्ति बहुला तथा भैरव भीरुक हैं।
मध्य प्रदेश के उज्जैन की पावन क्षिप्रा के दोनों तटों पर उज्जयिनी शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की कुहनी गिरी थी। यहां की शक्ति मंगल चंडिका तथा भैरव मांगल्य कपिलांबर हैं।
राजस्थान के पुष्कर में मणिवेदिका शक्तिपीठ स्थित है, जिसे गायत्री मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहीं माता की कलाइयां गिरी थीं। यहां की शक्ति गायत्री तथा भैरव शर्वानंद हैं।
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में प्रयाग शक्तिपीठ पर माता के हाथ की अंगुलियां गिरी थीं, लेकिन स्थानों को लेकर मतभेद है जिसे अक्षयवट, मीरापुर और अलोपी स्थानों पर गिरा माना जाता है। तीनों शक्तिपीठों की शक्ति ललिता हैं तथा भैरव भव हैं।
उड़ीसा के पुरी और याजपुर में विरजाक्षेत्रा उत्कल शक्तिपीठ पर माता की नाभि गिरी थी। यहां की शक्ति विमला तथा भैरव जगन्नाथ पुरुषोत्तम हैं।
तमिलनाडु के कांचीवरम में कांची शक्तिपीठ है। यहां माता का कंकाल गिरा था। यहां की शक्ति देवगर्भा तथा भैरव रुरु हैं। कालमाधव शक्तिपीठ के बारे में कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है, परंतु यहां माता का वाम नितम्ब गिरा था। यहां की शक्ति काली तथा भैरव असितांग हैं।
मध्य प्रदेश के अमरकंटक के नर्मदा मंदिर में शोण शक्तिपीठ है। यहां माता का दक्षिण नितम्ब गिरा था। दूसरी मान्यता यह है कि बिहार के सासाराम का ताराचंडी मंदिर ही शोण तटस्था शक्तिपीठ है। यहां माता सती का दायां नेत्र गिरा था। यहां की शक्ति नर्मदा या शोणाक्षी तथा भैरव भद्रसेन हैं।
असम-गुवाहाटी के कामगिरि पर्वत पर कामाख्या शक्तिपीठ पर माता की योनि गिरी थी। यहां की शक्ति कामाख्या तथा भैरव उमानंद हैं।
मेघालय की जयंतिया पहाड़ी पर जयंती शक्तिपीठ है। यहां माता की वाम जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति जयंती तथा भैरव क्रमदीश्वर हैं।
बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटनेश्वरी देवी को ही मगध शक्तिपीठ माना जाता है। यहां माता की दाहिनी जंघा गिरी थी। यहां की शक्ति सर्वानंदकरी तथा भैरव व्योमकेश हैं।
त्रिपुरा के राध किशोर ग्राम में त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ पर माता का दक्षिण पाद गिरा था। यहां की शक्ति त्रिपुर सुंदरी तथा भैरव त्रिपुरेश हैं।
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर के ताम्रलुक ग्राम में स्थित है विभाष शक्तिपीठ, यहां माता का वाम टखना गिरा था। यहां की शक्ति कापालिनी, भीमरूपा तथा भैरव सर्वानंद हैं।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जंक्शन के निकट द्वैपायन सरोवर के पास स्थित है, देवीकूप शक्तिपीठ जिसे श्रीदेवीकूप भद्रकाली पीठ के नाम से भी जाना जाता है। यहां माता के दाहिने चरण (गुल्पफद्ध) गिरे थे। यहां की शक्ति सावित्री तथा भैरव स्थाणु हैं।
राजस्थान-जयपुर के वैराटग्राम में अंबिका शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता सती के ‘दाएं पांव की उंगलियां’ गिरी थीं। यहां की शक्ति अंबिका तथा भैरव अमृत हैं।
कोलकाता के कालीघाट में कालीमंदिर के नाम से प्रसिद्ध है शक्तिपीठ। यहां माता के दाएं पांव का अंगूठा छोड़ चार अन्य उंगलियां गिरी थीं। यहां की शक्ति कालिका तथा भैरव नकुलेश हैं।
तिब्बत के मानसरोवर तट पर मानस शक्तिपीठ स्थित पर माता की दाहिनी हथेली का निपात हुआ था। यहां की शक्ति दाक्षायणी तथा भैरव अमर हैं।
श्रीलंका में लंका शक्तिपीठ पर माता का नूपुर गिरा था। यहां की शक्ति इंद्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं लेकिन श्रीलंका का यह स्थान अज्ञात है।
नेपाल में गंडकी नदी के उद्गम पर गंडकी शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता सती का दक्षिणगंड (कपोल) गिरा था। यहां की शक्ति क्वगंडकी’ तथा भैरव क्वचक्रपाणि’ हैं। नेपाल के ही काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही गुह्येश्वरी शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता सती के दोनों जानु (घुटने) गिरे थे। यहां की शक्ति महामाया और भैरव कपाल हैं।
पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता का ब्रह्मरन्ध्र (सर का ऊपरी भाग) गिरा था। यहां की शक्ति कोट्टरी और भैरव भीमलोचन हैं।
बंगलादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर स्थित है उग्रतारा देवी का शक्तिपीठ। यहां माता की नासिका गिरी थी। यहां की देवी सुनदा तथा भैरव त्र्यम्बक हैं। बंगलादेश भवानीपुर के बेगड़ा में करतोया नदी के तट पर करतोयाघाट शक्तिपीठ है। यहां माता का वाम तल्प गिरा था। यहां देवी अपर्णा रूप में तथा शिव वामन भैरव रूप में वास करते हैं। बंगलादेश के ही चटगांव में चट्टल शक्तिपीठ स्थित है। यहां माता की दाहिनी बाहु यानी भुजा गिरी थी। यहां की शक्ति भवानी तथा भैरव चंद्रशेखर हैं। बांग्लादेश के जैसोर खुलना में यशोर शक्तिपीठ स्थित है जहां माता की बाईं हथेली गिरी थी। यहां की शक्ति यशोरेश्वरी तथा भैरव चंद्र हैं।
मिथिला शक्तिपीठ को निम्न 3 स्थानों पर माना जाता है- नेपाल में जनकपुर, बिहार के समस्तीपुर और सहरसा, जहां माता का वाम स्कंध गिरा था। यहां की शक्ति उमा या महादेवी तथा भैरव महोदर हैं।
रत्नावली शक्तिपीठ का निश्चित स्थान अज्ञात है। बंगाज पंजिका के अनुसार, यह तमिलनाडु के चेन्नई में कहीं स्थित है। यहां माता का दक्षिण स्कंध गिरा था। यहां की शक्ति कुमारी तथा भैरव शिव हैं।
अंबाजी शक्तिपीठ, गुजरात के गिरनार पर्वत के शिखर पर देवी अंबिका का भव्य विशाल मंदिर है, यहां माता का उदर गिरा था। यहां की शक्ति चंद्रभागा तथा भैरव वक्रतुंड हैं।